Media
आपके मीडिया का मालिक कौन है: महामारी के बाद प्रगति कर रहे अमर उजाला के उतार-चढ़ाव
भारत के ब्रिटिश शासन से मुक्त होने के कुछ समय बाद भी ब्रिटिश-स्थापित अंग्रेजी दैनिकों का मीडिया जगत पर कब्जा था. ऐसे समय में मुरारी लाल माहेश्वरी और डोरी लाल अग्रवाल ने एक समाचार और समसामयिक मामलों का अखबार शुरू करने का निर्णय लिया. उनके प्रकाशन की वेबसाइट के अनुसार इसका उद्देश्य था "सामाजिक जागृति को बढ़ावा देना और एक नए भारत के निर्माण की ओर अग्रसर, हाल ही में स्वतंत्र हुए देश के नागरिकों के बीच जिम्मेदारी की भावना पैदा करना." और इसलिए, 1948 की गर्मियों में इन दोनों ने मिलकर हिंदी दैनिक अमर उजाला शुरू किया.
अपनी किताब 'हेडलाइंस फ्रॉम द हार्टलैंड: रिइन्वेंटिंग द हिंदी पब्लिक स्फीयर' में सेवंती निनन, माहेश्वरी और अग्रवाल के उद्देश्य को "ऊंचा" बताते हुए कहती हैं कि इस चार पेज के अखबार की 2,576 प्रतियां बिकती थीं.
कुछ समय बाद माहेश्वरी, अग्रवाल और कुछ अन्य लोगों ने नेशनल जर्नल्स के नाम से एक पार्टनरशिप बनाई. निनन की किताब कहती है कि 1968 तक अखबार की लगभग 20,000 प्रतियां बिकने लगीं थीं और यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों में फैल गया था. इसके बाद उसने पड़ोसी राज्यों में कदम रखा.
1979 में नेशनल जर्नल्स को भंग कर दिया गया और दो अलग-अलग साझेदारियों में विभाजित कर दिया गया- आगरा व्यवसाय के लिए अमर उजाला पब्लिकेशन और बरेली के लिए अमर उजाला प्रकाशन.
2001 में इन दोनों साझेदारियों को कंपनियों में परिवर्तित कर दिया गया. अमर उजाला पब्लिकेशंस लिमिटेड और अमर उजाला प्रकाशन लिमिटेड. मेसर्स अमर उजाला पब्लिकेशंस के पार्टनर्स इस पब्लिक लिमिटेड कंपनी के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन के शुरुआती सब्सक्राइबर बने, जिनमें शामिल थे डोरी लाल के पुत्र अशोक और अजय, अशोक के पुत्र मनु आनंद, उनके दिवंगत भाई अनिल कुमार के पुत्र सौरभ आनंद, और अनिल कुमार की पत्नी कमलेश अग्रवाल (उनके नाबालिग बेटे सागर आनंद के अभिभावक के रूप में). माहेश्वरी परिवार से आवंटियों में मुरारी लाल के बेटे अतुल व राजुल और अतुल माहेश्वरी की पत्नी स्नेहलता थे.
उसी साल अतुल माहेश्वरी ने समूह के प्रबंध निदेशक के रूप में पदभार संभाला और अखबार का वाराणसी संस्करण शुरू हुआ. बाद के वर्षों में दिल्ली और नैनीताल में भी संस्करण शुरू किए गए.
2004 में अमर उजाला प्रकाशन का अमर उजाला पब्लिकेशंस में विलय हो गया. इसे देखते हुए अमर उजाला प्रकाशन लिमिटेड के पूर्व शेयरधारकों को निम्नलिखित तरीके से इक्विटी शेयर आवंटित किए गए: अशोक अग्रवाल को 180,000 इक्विटी शेयर, अतुल माहेश्वरी को 250,000, अजय अग्रवाल को 24,900, राजुल माहेश्वरी को 220,000, कमलेश अग्रवाल को 1,70,000 शेयर, अजय की पत्नी रेणु को 155,000 और उनके बेटे हेमंत आनंद को 100 इक्विटी शेयर.
निनन की किताब के अनुसार, 2005 के राष्ट्रीय पाठक सर्वेक्षण में सभी भाषाओं के अखबारों में अमर उजाला पांचवें स्थान पर था. यूपी के अलावा, यह चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के प्रमुख समाचार पत्रों में से एक था.
फंडिंग और झगड़े
लेकिन जल्द ही समूह में कई विवाद उत्पन्न हो गए.
द हूट की एक रिपोर्ट के अनुसार 2006 में डोरी लाल के बेटे अजय ने अमर उजाला समूह की होल्डिंग कंपनी में अपनी 35.33 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया, जिसके बाद अग्रवाल और माहेश्वरी परिवारों के बीच झगड़े शुरू हो गए. कंपनी लॉ बोर्ड ने अतुल माहेश्वरी और अशोक अग्रवाल को 138 करोड़ रुपए में अजय की हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दे दी.
हूट के अनुसार, तब अमर उजाला पब्लिकेशंस की वैल्यू 390 करोड़ रुपए थी. इसके अलावा, अजय जो कि एक अल्पसंख्यक शेयरधारक थे, उन्होंने कंपनी में अतुल और अशोक की बहुसंख्यक हिस्सेदारी 252 करोड़ रुपए में खरीदने के लिए सुभाष चंद्रा के ज़ी समूह से संबंधित मीडियावेस्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और एक अज्ञात मर्चेंट बैंकर के साथ थर्ड-पार्टी फंडिंग की व्यवस्था की.
लेकिन कंपनी लॉ बोर्ड ने इसे इस आधार पर नामंज़ूर कर दिया कि कोई अल्पसंख्यक हितधारक, कंपनी पर स्वामित्व या नियंत्रण हासिल करने के लिए तीन साल तक किसी तीसरे पक्ष के साथ बातचीत या खरीद-फरोख्त नहीं कर सकता.
एक साल बाद, 2007 में, दुनिया के सबसे बड़े हेज फंडों में से एक डीई शॉ समूह से संबंधित कंपनी डीई शॉ कम्पोजिट इन्वेस्टमेंट (मॉरीशस) लिमिटेड पीसीसी ने अमर उजाला में निवेश किया. इसने संयुक्त रूप से अमर उजाला पब्लिकेशंस और समूह की एक अन्य कंपनी ए एंड एम पब्लिकेशंस के 9,87,805 इक्विटी शेयर 117 करोड़ रुपए में खरीद कर समूह में 18 प्रतिशत की हिस्सेदारी ली. इस बदलाव के बाद अमर उजाला ने अपना पंजीकृत कार्यालय यूपी से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया.
ए एंड एम का स्वामित्व भी अग्रवाल और माहेश्वरी परिवारों के पास था और यह कंपनी अखबार, पत्रिकाओं, किताबें, जर्नल्स, निर्देशिकाएं, नक्शे आदि छापने का काम करती थी. 2008 में इसका भी अमर उजाला पब्लिकेशंस लिमिटेड में विलय हो गया.
लेकिन समूह को फंडिंग मिलने के तीन साल बाद ही अक्टूबर 2010 में माहेश्वरी और अग्रवाल परिवार, डीई शॉ के साथ कानूनी पचड़े में फंस गए. हूट के अनुसार, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि प्रमोटर कथित तौर पर कंपनी के शेयरों को सार्वजनिक रूप से जारी करने के समझौते से मुकर गए थे.
हूट की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों परिवारों ने एक दूसरे के खिलाफ, और डीई शॉ हेज फंड के खिलाफ मुकदमा दायर किया, साथ ही प्रमोटर्स पर विदेशी निवेश से संबंधित सरकारी नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि परिस्थिति इस हद तक बिगड़ गई कि डीई शॉ ने समझौते से बाहर निकलने का प्रस्ताव दिया और अमर उजाला के प्रमोटर्स को अपने निवेश पर 25 प्रतिशत रिटर्न देने को कहा. इस बात पर विवाद सुप्रीम कोर्ट तक गया.
आखिरकार 2012 में, डीई शॉ ने अमर उजाला में अपनी पूरी हिस्सेदारी उसी साल निगमित हुई पन अंडरटेकिंग्स नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी. डीई शॉ और अमर उजाला, दोनों ने विवादों के संबंध में अपने-अपने दावे वापस ले लिए. हालांकि भक्त मोहन पन उस समय पन अंडरटेकिंग्स के निदेशक थे,
हूट के अनुसार पन अंडरटेकिंग्स "कथित रूप से महेश्वरियों द्वारा प्रवर्तित एक शेल कंपनी" थी. अशोक अग्रवाल और अन्य ने डीई शॉ के इक्विटी शेयरों को पन अंडरटेकिंग्स को हस्तांतरित करने का विरोध भी किया.
हूट की रिपोर्ट कहती है कि जहां एक ओर विदेशी निवेशक के साथ मामला सुलझा, वहीं माहेश्वरी और अग्रवाल परिवारों के बीच लड़ाई बढ़ती चली गई. यहां तक कि अजय अग्रवाल ने अपने पिता के डोरी लाल के नाम पर डीएलए नामक एक प्रतिद्वंद्वी अखबार भी शुरू कर दिया. इस लड़ाई ने "सनसनीखेज" मोड़ तब लिया, जब माहेश्वरी परिवार के वकील अंकुर चावला (न्यू इंडियन एक्सप्रेस के संपादक प्रभु चावला के पुत्र) पर रिश्वतखोरी के लिए उकसाने का आरोप लगा.
हूट की रिपोर्ट कहती है कि कथित तौर पर कंपनी लॉ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष आर वासुदेवन को महेश्वरियों के पक्ष में, और अग्रवालों के खिलाफ, आदेश पारित करने के लिए 10 लाख रुपए की रिश्वत दी गई थी.
रिपोर्ट कहती है, "जबकि वासुदेवन को सीबीआई ने कथित तौर पर 'रंगे हाथों' पकड़ा और आरोपित किया, अंकुर चावला के खिलाफ आरोपों को नवंबर 2014 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था, क्योंकि सीबीआई द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य को अस्वीकार्य माना गया था.”
युद्ध विराम और आईपीओ के लिए प्रयास
समूह के मुखिया अतुल माहेश्वरी का 2011 में 55 वर्ष की आयु में निधन हो गया और कमान राजुल माहेश्वरी के हाथ में सौंप दी गई. राजुल माहेश्वरी कुछ समय पहले तक समूह के प्रबंध निदेशक थे.
2013 में माहेश्वरी और अग्रवाल परिवारों के बीच आखिरकार एक समझौता हुआ और वे अपने-अपने मामलों को वापस लेने पर सहमत हुए. अग्रवाल परिवार ने तीन कंपनियों- अमर उजाला पब्लिकेशंस लिमिटेड (7,95,017 इक्विटी शेयर), हेल्प-लाइन सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड (1,82,666 इक्विटी शेयर) और अंटार्कटिका फिनवेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (25,284 इक्विटी शेयर) में अपनी पूरी शेयरहोल्डिंग माहेश्वरी परिवार और या उनके नामांकितों को बेच दी.
2 सितंबर 2014 को, मनु आनंद, दया अग्रवाल और अशोक अग्रवाल के पास बचे 7,69,298 इक्विटी शेयर 114.183 करोड़ रुपए के वचन के साथ माहेश्वरी परिवार के नामांकित के रूप में नॉर्दर्न इंडिया मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिए गए.
दो साल बाद, समूह ने अपने सार्वजनिक रूप से जारी होने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई और मार्च 2015 में ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) दायर किया.
उस समय, नॉर्दर्न इंडियन मीडिया का स्वामित्व स्नेह लता (50 प्रतिशत) और राजुल माहेश्वरी (50 प्रतिशत) के पास था. हेल्प-लाइन सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड की 44.28 प्रतिशत हिस्सेदारी स्नेह लता और 55.72 प्रतिशत राजुल माहेश्वरी के पास थी. अंटार्कटिका फिनवेस्ट प्राइवेट लिमिटेड की 49.92 प्रतिशत हिस्सेदारी राजुल, 33.33 प्रतिशत स्नेह लता और 16.75 प्रतिशत हिस्सेदारी उनके बेटे तन्मय माहेश्वरी के पास थी.
अग्रवाल परिवार की विदाई के साथ अमर उजाला पब्लिकेशंस लिमिटेड के शेयरधारक अब राजुल, स्नेह लता, तन्मय और राजुल के बेटे वरुण थे, जिनके पास क्रमशः 19, 19, 0.5 और 0.5 प्रतिशत शेयर थे. अंटार्कटिका फिनवेस्ट और नॉर्दर्न इंडिया मीडिया, जो प्रवर्तक समूह का हिस्सा थे, के पास क्रमशः 28.97 प्रतिशत और 14.02 प्रतिशत शेयर थे. एकमात्र गैर-प्रवर्तक शेयरधारक थी पन अंडरटेकिंग्स नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड, जिसके पास 18 प्रतिशत शेयर थे.
डीआरएचपी के अनुसार, राजुल माहेश्वरी उस समय इंडियन न्यूज़पेपर सोसाइटी, नई दिल्ली के कार्यकारी परिषद के सदस्य थे.
ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन के आकंड़ों के अनुसार, 2014 की पहली छमाही के दौरान अमर उजाला 19 संस्करण प्रकाशित कर रहा था, जिनका छह राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में औसतन 19.5 लाख प्रतियों का वितरण था.
इस अवधि के दौरान इसने बिक्री में 14.98 प्रतिशत की वृद्धि का भी दावा किया. शहरों के लिए 2007 में लॉन्च हुए टैब्लॉइड अमर उजाला कॉम्पैक्ट के यूपी में छह संस्करण थे. समूह की पत्रिकाएं हैं: सफलता, जो सिविल सेवाओं और अन्य परीक्षाओं के लिए अध्ययन सामग्री प्रदान करती है; सफलता सामयिकी, जो सामान्य ज्ञान और करंट अफेयर्स से संबंधित जानकारी प्रदान करती है; और चौपाल, जो कृषि और संबंधित उद्योग प्रथाओं पर केंद्रित है. समूह, अमर उजाला एजुकेशन बुक्स के तहत यूजीसी परीक्षाओं के हल किए गए प्रश्नपत्र, जीके मैनुअल, एनसीईआरटी पाठ्यक्रम पर आधारित पुस्तकें और यूपीएससी और आईबीपीएस परीक्षाओं के अध्ययन किट आदि भी प्रकाशित करता था.
वित्त वर्ष 2014 और वित्त वर्ष 2013 में कंपनी का कुल राजस्व क्रमशः 640.34 करोड़ रुपए और 544.15 करोड़ रुपए था, और शुद्ध लाभ क्रमशः 25.01 करोड़ रुपए और 18.51 करोड़ रुपए था.
जून 2015 में सेबी ने अमर उजाला पब्लिकेशंस के प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम के आवेदन को कथित तौर पर मंजूरी दे दी, लेकिन यह आईपीओ कभी नहीं आया. हमने अमर उजाला से इसका कारण पूछा है; अगर हमें उनकी प्रतिक्रिया मिलती है तो यह रिपोर्ट संशोधित कर दी जाएगी.
समेकन और स्वामित्व
मार्च 2017 तक, पुन अंडरटेकिंग ने अमर उजाला में अपनी 33.33 प्रतिशत हिस्सेदारी नॉर्दर्न इंडिया मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को और शेष एक नए गैर-प्रमोटर, शैम्स प्रोफेशनल प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दी थी.
भक्त मोहन पन ने पहले कुछ समय के लिए शैम्स में निदेशक के रूप में काम किया था. शैम्स के एक अन्य पूर्व निदेशक, प्रदीप जौहरी, पहले भी उन कंपनियों में निदेशक थे जिनमें भक्त पन निदेशक रह चुके थे- जैसे स्टारला मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और स्टेरेन एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड.
इसके अलावा, एक दशक तक भक्त पन एक वित्तीय कंपनी कादंबरी कैपफिनलीज में भी निदेशक रहे. इसका वर्तमान स्टेटस 'स्ट्राइक ऑफ' है और यहां राजुल माहेश्वरी ने 1996 से 2019 तक निदेशक के रूप में काम किया था.
इस स्थानांतरण के बाद, नॉर्दर्न इंडिया मीडिया का अमर उजाला पब्लिकेशंस में विलय कर दिया गया. दिसंबर 2017 के बाद बायबैक के माध्यम से शैम्स को भी बाहर का रास्ता दिखाया गया. इसलिए वित्त वर्ष 2018 तक अमर उजाला में अंटार्कटिका फिनवेस्ट की हिस्सेदारी बढ़कर 44.02 प्रतिशत, स्नेहा लता और राजुल माहेश्वरी दोनों की 27.27 प्रतिशत और तन्मय और वरुण माहेश्वरी की हिस्सेदारी 0.72 प्रतिशत हो गई थी. प्रतुल माहेश्वरी के पास दो शेयर थे, और रुचि और गरिमा माहेश्वरी के पास 100-100 शेयर थे.
तब से कंपनी का शेयरहोल्डिंग पैटर्न वैसा ही बना हुआ है.
लेकिन अमर उजाला के बहुसंख्यक शेयरधारक अंटार्कटिका फिनवेस्ट की हिस्सेदारी में मामूली बदलाव आया है. अंटार्कटिका फिनवेस्ट में राजुल माहेश्वरी की 49.91 प्रतिशत हिस्सेदारी आज 2018 से 0.01 प्रतिशत कम है. स्नेहा लता की 33.26 प्रतिशत हिस्सेदारी में 0.07 प्रतिशत की गिरावट और तन्मय माहेश्वरी की 16.74 प्रतिशत हिस्सेदारी में 0.01 प्रतिशत की गिरावट आई है. इन सभी की हिस्सेदारी में कुल मिलकर हुई 0.09 प्रतिशत की कटौती को वरुण माहेश्वरी को आवंटित की गई है. वर्तमान में, तन्मय माहेश्वरी इंडियन न्यूज़पेपर सोसाइटी के मानद कोषाध्यक्ष हैं.
वर्तमान पोर्टफोलियो
अपने व्यवसाय को कई खंडों में बांटने पर विचार करते हुए, कंपनी ने 2019 में अपना नाम अमर उजाला पब्लिकेशंस लिमिटेड से बदल कर अमर उजाला लिमिटेड कर दिया.
समूह ने वास्तव में व्यापार में विविधता लाते हुए 2019 में उजाला हेल्थकेयर सर्विसेज और सिग्नस मेडिकेयर के विलय के माध्यम से, उजाला सिग्नस हॉस्पिटल्स की स्थापना की और हेल्थकेयर के क्षेत्र में कदम रखा. इसने टचप्वाइंट इंटीग्रेटेड मार्केटिंग सॉल्यूशंस नामक एक इवेंट प्लानिंग और एक्टिवेशन डिवीजन भी विकसित किया.
भारत के समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अमर उजाला के आज अमर उजाला लिमिटेड के तहत हिसार, आगरा, मुरादाबाद, नैनीताल, बरेली, अलीगढ़, करनाल, रोहतक, कानपुर, गोरखपुर, चंडीगढ़, जम्मू, धर्मशाला, इलाहाबाद, वाराणसी, दिल्ली, जालंधर, मेरठ और देहरादून में 19 संस्करण पंजीकृत हैं.
हालांकि इसका 20वां संस्करण जो झांसी में है, वह पुराने नाम 'अमर उजाला पब्लिकेशंस लिमिटेड' के तहत पंजीकृत है. समूह अपने शिमला संस्करण को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है.
साथ ही, पुराने नाम के तहत पंजीकृत प्रकाशनों में शामिल हैं: अमर उजाला कॉम्पैक्ट, जिसके अब गौतम बुद्ध नगर, आगरा, मेरठ, वाराणसी, कानपुर, गाजियाबाद, इलाहाबाद, गोरखपुर और बरेली में संस्करण हैं; इसकी मासिक पत्रिकाएं अमर उजाला जीके एंड आईक्यू, अमर उजाला सफलता, अमर उजाला ऑर्बिट, सफलता समयिकी और अमर उजाला चौपाल, साथ ही साप्ताहिक अमर उजाला उड़ान, रुपायन, अमर उजाला कल्पवृक्ष, अमर उजाला बाजार समाचार, अमर उजाला जॉब्स और अमर उजाला युवान, इन सभी के संस्करण यूपी के गौतम बुद्ध नगर जिले में हैं.
कंपनी की वेबसाइट के अनुसार इसकी डिजिटल शाखा एयूडब्ल्यू, अपने मोबाइल ऐप, सोशल मीडिया और डिजिटल उपकरणों के माध्यम से चौबीसों घंटे हाइपरलोकल, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समाचार और विभिन्न शैलियों में सूचना प्रदान करती है.
साथ ही समूह की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी इम्प्रेशंस, अपने व्यावसायिक भागीदारों और विज्ञापनदाताओं की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रिंटिंग सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती है.
आय का लेखा-जोखा
अमर उजाला लिमिटेड के नवीनतम वित्तीय विवरणों के अनुसार इसके राजस्व का मुख्य स्रोत विज्ञापन और अखबारों की बिक्री है, विज्ञापन राजस्व इसके कुल राजस्व का लगभग 66 प्रतिशत है.
समेकित वित्तीय विवरणों के अनुसार ऑपरेशन्स से प्राप्त राजस्व में पिछले पांच वर्षों में कुछ उतार-चढ़ाव देखा गया है. 2018 में 871 करोड़ रुपए से 2019 में यह बढ़कर 948 करोड़ रुपए हो गया और 2020 में महामारी के पहले वर्ष में फिर से घटकर 896 करोड़ रुपए हो गया, लेकिन इसमें सबसे भारी गिरावट 2021 में देखी गई जब राजस्व केवल 619 करोड़ रुपए रहा.
फिर भी, केवल एक साल में ही काफी सुधार हुआ और 2022 में ऑपरेशनल राजस्व 810 करोड़ रुपए रहा.
हालांकि पिछले कुछ सालों में इसका ऑपरेशनल राजस्व और कुल आय अधिक रही है, लेकिन साल 2022 में सबसे ज़्यादा लाभ रहा. जहां पिछले वर्षों में इसका शुद्ध लाभ 33 करोड़ रुपए से लेकर 41 करोड़ रुपए तक रहा, वहीं 2022 में ये बढ़कर 87 करोड़ रुपए हो गया.
सभी वित्तीय और स्वामित्व विवरण मीडिया समूह द्वारा कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में दायर किए गए वित्तीय विवरणों और अन्य कंपनी दस्तावेजों से लिए गए हैं.
ग्राफिक्स, गोबिंद वीबी के द्वारा
स्रोत
अमर उजाला की वेबसाइट: https://www.amarujala.com/about-us
हेडलाइन्स फ्रॉम द हार्टलैंड: रिइनवेंटिंग द हिंदी पब्लिक स्फीयर, लेखक: सेवंती निनन
वीसीसी सर्कल में लेख: Regional Media Publication Amar Ujala Files For IPO लिंक: https://www.vccircle.com/regional-media-publication-amar-ujala-files-ipo
हूट में लेख: Amar Ujala to go public: burying a controversial past? लिंक: http://asu.thehoot.org/media-watch/media-business/amar-ujala-to-go-public-burying-a-controversial-past-8342
ए एंड एम पब्लिकेशंस के बारे में जानकारी www.companyhouse.in पर
अमर उजाला पब्लिकेशन लिमिटेड - ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस
News18 में लेख: Sebi clears three Initial Public Offerings; total approvals reach 17 this year. लिंक: https://www.news18.com/news/business/sebi-clears-three-initial-public-offerings-total-approvals-reach-17-this-year-1003558.html
भक्त मोहन पुन, प्रदीप जौहरी और राजुल माहेश्वरी की निदेशक प्रोफाइल टॉफलर पर
अमर उजाला पब्लिकेशन लिमिटेड के साथ नॉर्दर्न इंडिया मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के समामेलन के संबंध में अदालती आदेश या एनसीएलटी या सीएलबी या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी के आदेश की प्रति.
शेयरधारकों, डिबेंचर धारकों की सूची - 2017 (अमर उजाला पब्लिकेशंस लिमिटेड)
शेयरधारकों, डिबेंचर धारकों की सूची - 2018, 2022 (अमर उजाला पब्लिकेशंस लिमिटेड)
शेयरधारकों, डिबेंचर धारकों की सूची - 2022 (अंटार्कटिका फिनवेस्ट प्राइवेट लिमिटेड)
एमसीए के पास उपलब्ध संबंधित वर्षों के कंपनी दस्तावेज और वित्तीय विवरण
आरएनआई डेटा
आईएनएस वेबसाइट
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
Also Read: आपके मीडिया का मालिक कौन: एनडीटीवी की कहानी
Also Read
-
Decoding Maharashtra and Jharkhand assembly polls results
-
Adani met YS Jagan in 2021, promised bribe of $200 million, says SEC
-
Pixel 9 Pro XL Review: If it ain’t broke, why fix it?
-
What’s Your Ism? Kalpana Sharma on feminism, Dharavi, Himmat magazine
-
महाराष्ट्र और झारखंड के नतीजों का विश्लेषण