फरवरी महीने में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में हुए दंगों के बीच बने ‘कट्टर हिन्दू एकता’ व्हाट्सऐप ग्रुप में हुई बातचीत, दंगों में हुई आगजनी और कत्लेआम की कहानी कहती है.
“भाई आरएसएस के लोग आये हैं यहां सपोर्ट में.
ब्रिजपुरी में.
और नौ मुल्लों को मार दिया गया है ब्रिजपुरी पुलिया पर
हिम्मत बनाये रखो और इनकी बजाये रखो
जय श्रीराम...”
यह मैसेज दिल्ली दंगे के दौरान बने एक व्हाट्सऐप ग्रुप का है. दंगों में हुई आगजनी और कत्लेआम के एक बड़े हिस्से की तैयारी इसी ग्रुप के ज़रिए हुई थी.
इसी साल 23 फरवरी को भारतीय जनता पार्टी के नेता कपिल मिश्रा के एक भड़काऊ भाषण के तुरंत बाद सिलसिलेवार ढंग से उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा की शुरुआत हुई थी. यह भाषण मिश्रा ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के समर्थकों के एक जमावड़े को हटाने के लिए पुलिस की उपस्थिति में दी थी जो एक तरह से सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे लोगों को खुलेआम दी गई धमकी थी.
इस हिंसा में 53 लोगों की हत्या कर दी गई, वहीं भारी तादाद में दुकानों और घरों को आग के हवाले कर दिया गया था. इस दंगे में हज़ारों की संख्या में लोग बेघर हुए और असुरक्षा के भय से इधर-उधर शरण लेने को मजबूर हुए थे.
दंगे के दौरान कई लोगों की हत्या करके लाश को नालों में फेंक दिया गया था जहां से शवों के मिलने का सिलसिला मार्च महीने के पहले सप्ताह तक जारी रहा. नाले से मिले शवों को लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने एक विस्तृत रिपोर्ट की थी. न्यूजलॉन्ड्री ने अपनी रिपोर्ट में पाया था कि ज़्यादातर लोगों की हत्या जौहरीपुर पुलिया के आसपास ही हुई थी.
अब दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा इस संबंध में एक चार्जशीट दाखिल की गई है. चार्जशीट में बताया गया है कि 25 फरवरी और 26 फरवरी को जौहरीपुर में और यहीं स्थित एक पुलिया (जिसे जौहरीपुर पुलिया के नाम से जाना जाता है) के आसपास कम से कम नौ लोगों की हत्या की गई थी.
दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि पुलिया और उसके आसपास जो हत्याएं हुईं, उनमें से चार लोगों की हत्या 26 फरवरी की रात 9:00 बजे से 9:40 के बीच हुई थी.
दिल्ली पुलिस की यह चार्जशीट गृहमंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा में किए गए उस दावे को ग़लत साबित करती है, जिसमें उन्होंने दिल्ली पुलिस की तारीफ करते हुए कहा था- ‘25 फरवरी को दिल्ली दंगा रुक गया था.’ जबकि 26 फरवरी की रात में कई लोगों की हत्या होने की बात खुद पुलिस की चार्जशीट में साफ़-साफ़ दर्ज़ है.
दंगे में मुस्तफ़ाबाद इलाका काफी प्रभावित हुआ था. यहीं के गली नम्बर 17 में रहने वाले दो भाई, हाशिम अली (19 वर्ष) और आमिर खान ( 30 वर्ष) अपनी मोटरसाइकिल से गाज़ियाबाद से अपने बीमार नाना को देखकर घर लौट रहे तभी रात नौ बजे के करीब उनकी हत्या कर दी गई. आमिर खान की हत्या में दिल्ली पुलिस ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. इसी मामले में पुलिस ने ‘कट्टर हिन्दू एकता’ नाम के एक व्हाट्सऐप ग्रुप के बारे में भी बताया है.
‘कट्टर हिन्दू एकता’ नाम का व्हाट्सऐप ग्रुप 24 फरवरी की रात 12 बजकर 49 मिनट पर बनाया गया था. इस ग्रुप में लगभग 125 लोग जुड़े हुए थे.
पुलिस ने चार्जशीट के साथ ‘कट्टर हिन्दू एकता’ व्हाट्सऐप ग्रुप में 24 फरवरी से आठ मार्च के बीच हुई तमाम बातचीत को भी कोर्ट में जमा किया है, जो न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद है. इस ग्रुप में हुई बातचीत आरएसएस, कपिल मिश्रा, मस्जिदों में आग लगाने और मूर्तियां स्थापित करने, बंदूक, पिस्टल और गोली के लेन-देन करने और मुसलमानों को मारने की साज़िश के इर्द-गिर्द रही है. इतना ही नहीं इस ग्रुप में मुस्लिम महिलाओं का दुर्व्यवहार करने की भी बात की गई है.
कपिल मिश्रा
दिल्ली दंगे में सबसे ज़्यादा जिस शख़्स का नाम सामने आया वो कपिल मिश्रा ही हैं. करावल नगर (यह इलाका भी दंगे से प्रभावित रहा) विधानसभा से आम आदमी पार्टी के विधायक रहे मिश्रा आप प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मनमुटाव के बाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे और 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी की टिकट पर मॉडल डाउन से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
नवम्बर 2019 में संसद में 'नागरिकता संशोधन क़ानून' के पास होने के बाद जब उसको लेकर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन शुरू हुए तो मिश्रा क़ानून का विरोध कर रहे लोगों के ख़िलाफ़ लगातार बोलते नजर आए.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में न केवल बीजेपी बल्कि ख़ुद मिश्रा ने सीएए विरोधी प्रदर्शनों को चुनावी मुद्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. बीजेपी के नेताओं ने बार-बार कहा की यह प्रदर्शन दिल्ली चुनाव के बाद खत्म हो जाएगा, लेकिन चुनाव के नतीजे आने के बाद यह प्रदर्शन खत्म होने के बदले और बड़े पैमाने पर जारी रहा.
सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए प्रदर्शनकारी जाफराबाद की सड़कों पर जमा हो गए. जिसके बाद 23 फरवरी को मिश्रा यहां पहुंचे और पुलिस की उपस्थिति में विरोध कर रहे लोगों को धमकी देते हुए कहा, ‘‘ट्रंप के जाने तक आप (डीसीपी) जाफराबाद और चांद बाग खाली करा लीजिए, ऐसी आपसे विनती कर रहे हैं, नहीं तो उसके बाद हमें रोड पर आना पड़ेगा."
कपिल मिश्रा के इस बयान के ठीक बाद ही उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा भड़क गई थी.
‘कट्टर हिन्दू एकता’ नाम से बने व्हाट्सएप ग्रुप में कपिल मिश्रा का कई बार ज़िक्र हुआ है. यहां मिश्रा की एक मीडिया फ़ाइल साझा की गई. पुलिस ने चार्जशीट में यह नहीं बताया की वह वीडियो कौन-सा था, लेकिन एक मैसेज इस ग्रुप में पढ़ने को कई बार मिलता है कि ‘कपिल मिश्रा के इस वीडियो को सुने समझें और बहुत मेहनत करके पूरे हिंदुस्तान में भेजें क्योंकि यह बहुत सही है हंड्रेड परसेंट देश हित में है इतना तो कर ही सकते है मेरे दोस्त.’
पहली बार कपिल मिश्रा का वीडियो 26 फरवरी की रात ग्रुप में साझा किया गया. उसके बाद 27 फरवरी को भी किया गया. यह ऐसा समय था जब दंगा अपने चरम पर था और लगातार लोगों की हत्या और आगजनी की ख़बरें आ रही थी.
मिश्रा का एक इंटरव्यू भी ग्रुप में साझा किया गया. जो उन्होंने ‘शाईनिंग इंडिया’ नाम के एक यूट्यूब चैनल को सात मार्च को दिया था. इंटरव्यू का शीर्षक था, “कपिल मिश्रा का धमाकेदार इंटरव्यू, वामपंथी पत्रकारों के आरोपों का दिया जबरदस्त जवाब.’’
इस इंटरव्यू में मिश्रा कहते हैं, ‘‘एंटी सीएए आंदोलन, एंटी नेशनल और एंटी हिन्दू आंदोलन है. और एक हिंसक आंदोलन है.’’
इस ग्रुप में न सिर्फ़ मिश्रा का मीडिया फाइल और इंटरव्यू साझा किया गया बल्कि दंगा भड़काने में जब कपिल मिश्रा का नाम सामने आने लगा तो ग्रुप के कई सदस्य उनका बचाव करते नज़र आए. ‘आई स्टैंड विद कपिल मिश्रा’ का हैशटैग लगातार मैसेज ग्रुप में साझा किया गया.
दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में अपने हिसाब से इस हिंसा के बैकग्राउंड पर रोशनी डालते हुए लिखा है कि 22 फरवरी की रात 10:30 से 11:00 बजे के बीच लगभग एक हज़ार एंटी सीएए प्रोटेस्टर जिसमें 400 से 500 महिलाएं और बच्चे थे, जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास 60 फुटा रोड पर भीम आर्मी द्वारा बुलाए गए भारत बंद कर समर्थन देने के लिए जमा हो गए. इन लोगों ने रास्ते को जाम कर दिया.
कुछ और बातें सड़क बंद करने को लेकर लिखने के बाद पुलिस 23 फरवरी की घटना का जिक्र करती है. पुलिस यहां बड़ी चालाकी से कपिल मिश्रा का नाम नहीं लेती है. पुलिस ने बताया है कि 23 फरवरी को 'कुछ लोग' सड़क खुलवाने को लेकर मौजपुर चौक पर जमा हो गए जो जाफराबाद मेट्रो स्टेशन से 750 मीटर की दूरी पर है. इसके बाद जाफराबाद और कर्दमपुरी के हजारों लोग जो सड़क बंद करने वालों का समर्थन कर रहे थे, इकठ्ठा हो गए और जो लोग सड़क खुलवाने की मांग कर रहे थे उनपर पत्थरबाजी शुरू कर दी.
कपिल मिश्रा का पक्ष जानने के लिए हमने उन्हें कई सवाल भेजे है. अभी तक उनका कोई जवाब नहीं आया. अगर जवाब आता है तो हम इसे खबर में जोड़ देंगे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)
दंगे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस की भूमिका को लेकर सवाल उठते रहे है. बीजेपी आरएसएस का राजनीतिक विंग है. ‘कट्टर हिन्दू एकता’ व्हाट्सएप ग्रुप में आरएसएस को लेकर कई मैसेज आए हैं.
25 फरवरी की रात आठ बजे ग्रुप में एक मैसेज आता है. यह तब होता है जब दंगा अपने चरम पर पहुंच चुका था.
“भाई आरएसएस के लोग आये हैं यहां सपोर्ट में.
ब्रिजपुरी में.
और नौ मुल्लों को मार दिया गया है ब्रिजपुरी पुलिया पर
हिम्मत बनाये रखो और इनकी बजाये रखो
जय श्रीराम...”
यह तमाम मैसेज एक ही शख़्स द्वारा भेजा गया है. इसके बाद ग्रुप का दूसरा सदस्य जय श्रीराम कहते हुए वीडियो या फोटो भेजने के लिए कहता है.
इस ग्रुप में बजरंग दल के लोगों से संपर्क करने की भी बात की गई. 26 फरवरी की रात 10:30 के आसपास व्हाट्सएप ग्रुप में एक सदस्य ने कहा, “यार कोई बजरंग दल से संपर्क करो.’’ इसके बाद एक दूसरा सदस्य कहता है, ‘‘हां भाई अगर किसी के पास नम्बर है तो ग्रुप में साझा कर दो ताकि बजरंग दल से संपर्क कर हो सके.’’
पहले सदस्य ने रात के क़रीब 11:00 बजे एक बार और बजरंग दल से संपर्क करने की अपनी बात दोहराई. इसके जवाब में रात 11:43 बजे ग्रुप के एक अन्य सदस्य ने एक लिंक साझा किया जो उत्तर प्रदेश के लोनी के एक बजरंग दल के नेता राहुल गोला का फेसबुक पेज का था. लोनी, जौहरीपुर पुलिया से मुश्किल से एक किलोमीटर दूरी पर है.
वहीं दंगे के दौरान और उसके बाद भी ऐसे मैसेज आए हैं जिसमें कहा गया है कि “हिन्दुओं, आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, हिन्दू सेना का समर्थन करो. उसमें शामिल हो. क्योंकि जब हिन्दुओं पर संकट आता है तो यहीं सब पहले तुम्हारे लिए लड़ने आएंगे.”
द प्रिंट की एक रिपोर्ट में आरएसएस ने दिल्ली दंगे को सीएए के समर्थकों और विरोधियों के बीच महज़ टकराव न कहते हुए इसके पीछे एक बड़ी साजिश बताया था.
दंगे के दौरान भजनपुरा के रहने वाले साहिल परवेज़ के पिता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. साहिल ने हत्यारों को सामने से देखा था और इसको लेकर शिकायत दर्ज़ कराई थी. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 22 लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया और इसमें से 16 लोगों को गिरफ़्तार किया था. यह सभी लोग उत्तरी घोंडा के रहने वाले हैं.
द क्विंट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि इनमें से 16 लोग सक्रिय तौर पर या किसी न किसी रूप में आरएसएस के कार्यकर्ता थे या स्थानीय शाखाओं में जाते थे.
जब द क्विंट ने आरएसएस से इस बाबत सवाल पूछा था तो उसकी तरफ़ से तीन पेज का जवाब दिया गया जिसका लब्बोलुआब था कि संघ के कार्यकर्ताओं को फंसाया जा रहा है.
जौहरीपुर पुलिया: जहां नाम पूछकर की गई हत्या
25 फरवरी और 26 फरवरी की रात जौहरीपुर पुलिया और उसके आसपास मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा था. इसकी गवाही घटना के चार दिन बाद वहीं पास में झुग्गी में रहने वाले लड़कों ने दी थी. वहीं के एक लड़के ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, ‘‘यहां जो भी आता था उससे पूछताछ की जा रही थी और अगर वो मुसलमान निकलता था तो उसे मार दे रहे थे.’’
मुसलमानों को निशाना बनाने की बात पास के ही झुग्गी बस्ती में जली झुग्गियों से और पुख़्ता होती है. यहां जल विभाग की ज़मीन पर लगभग 125 झुग्गियां हैं, जिसमें से सिर्फ छह को 25 फरवरी की रात जला दिया गया था. ये सभी झुग्गियां मुस्लिम समुदाय के लोगों की थी, जो कबाड़ी का काम कर या मज़दूरी करके अपनी रोज़ी-रोटी चला रहे थे.
दंगे के चार-पांच दिन बाद जब ये लोग वहां झुग्गी डालने पहुंचे तो गंगा विहार के लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया. तब न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए एक स्थानीय युवक, जो जलाई गई झुग्गियों की जगह फिर से झुग्गी बनाने का पुरज़ोर विरोध कर रहा था, ने कहा था, ‘‘अगर आपको कैंसर हो और एकबार ठीक हो जाए तो आप दोबारा चाहेंगे की आपको हो. ये लोग कैंसर हैं.’’
जौहरीपुर पुलिया पर सैकड़ों की संख्या में मौजूद दंगाइयों ने नाम पूछ-पूछकर हत्या की थी. पुलिस ने चार्जशीट में बताया है कि 25 फरवरी से 26 फरवरी देर रात तक यहां 9 लोगों की हत्या की गई और शव को नाले में फेंक दिया गया.
25 फरवरी
शाम 4:00 से 4:30 के करीब मुरसलीन की हत्या कर दंगाइयों ने लाश को जौहरीपुर पुलिया के पास भागीरथी विहार नाले में फेंक दिया. और उनके स्कूटर में भी आग लगा दी गई.
शाम 7:00 से 7:30 के बीच दंगाइयों ने आस मोहम्मद की हत्या कर उनके शव को भागीरथी विहार नाले में फेंक दिया.
शाम 7:30 से 8:00 बजे के बीच दंगाइयों ने बिजली का कनेक्शन काट दिया और मुशर्रफ़ के घर पर हमला कर दिया. उनको घर से निकालकर लाए और तब तक मारते रहे जब तक उनकी मौत नहीं हो गई. हत्या के बाद इनका शव भी नाले में फेंक दिया गया.
रात 9:30 ब्रिजपुरी पुलिया से पैदल आ रहे आमीन की भी हत्या कर दंगाइयों ने लाश नाले में डाल दी.
26 फरवरी
सुबह के साढ़े दस बजे आसपास भूरे अली की हत्या करके दंगाइयों ने इनकी लाश को सी ब्लॉक के पास भागीरथी विहार नाले में फेंक दिया. वे पैदल ही ब्रिजपुरी पुलिया से लौट रहे थे.
रात 9 बजकर 15 मिनट के आसपास दंगाइयों ने हमज़ा की जान ली और लाश को भागीरथी विहार नाले में ही इ ब्लॉक के पास फेंक दिया था. ये मुस्तफाबाद से भागीरथी विहार आ रहे थे.
रात 9 बजकर 40 मिनट के आसपास आमिर खान और उनके भाई हाशिम अली की हत्या की गई.
पुलिस ने एफआईआर संख्या 37, जो की आमिर खान की हत्या से जुड़ा है, में लोकेश सोलंकी, पंकज शर्मा, सुमित चौधरी, अंकित चौधरी, प्रिंस, पवन कुमार, ललित कुमार, ऋषभ चौधरी, जतिन शर्मा, विवेक प्रंचल और हिमांशु ठाकुर को गिरफ्तार किया है. इनको भारतीय दंड संहिता ( आईपीसी ) की धारा 144, 147, 148, 302, 201, 427, 395, 396, 432, 435, 120-B/34 के तहत गिरफ़्तार किया गया है.
मुसलमानों की हत्या और हत्या की तैयारी का अड्डा
जौहरीपुर पुलिया के आसपास जो कुछ हुआ उसकी तैयारी इसी ‘कट्टर हिन्दू एकता’ व्हाट्सएप ग्रुप में की गई थी. जिसकी तस्दीक ग्रुप में हुई बातचीत से होती है.
ग्रुप में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ लगातार ज़हर उगला गया और गालियां देते हुए न केवल मुसलमानों की हत्या करने की बात की गई है बल्कि हत्या करने के बाद इसकी सूचना भी दी गई है.
24 फरवरी की रात में बने ग्रुप में लोग शाम तक जुड़ते रहे और 'जय श्रीराम' के नारे लगाते रहे. सुबह सात बजकर 18 मिनट पर एक सदस्य ने मैसेज किया-
“रात बहुत बढ़िया काम हुआ है. आज सभी भाई 10 बजे जौहरीपुर तिकोने पर पहुंचे.”
जौहरीपुर तिकोना पार्क को लेकर सवाल पूछने पर ग्रुप का एक सदस्य जवाब देता है, “भागीरथी विहार और जौहरीपुर के बीच में पड़ता है बहुत हिन्दू एकता हो रही सारे आ जाओ.”
ग्रुप में बातचीत के दौरान किस गली में मुस्लिम दंगाई घुस गए इसकी भी सूचना देकर मदद के लिए लोगों को आने के लिए कहा जाता रहा. बार-बार लोगों को चेताया जा रहा था कि सजग रहे. अपने छतों पर ईट रख लें. एकता बनाए रखें. आपस में ना लड़ें.
25 फरवरी की दोपहर 2 बजकर 16 मिनट पर ग्रुप का एक सदस्य कहता है, ‘‘अभी एक मुल्ला पकड़ लिया था. भागीरथी विहार में. बहुत मारा सर फाड़ दिया. जय श्रीराम ’’
दंगाइयों ने 25 की रात बिजली काट दी थी जिसका जिक्र दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में भी किया. बिजली काटने की सूचना भी ग्रुप में 25 फरवरी की शाम सात बजे के करीब दी गई है-
“भाई लाइट बंद कर दिया यहां की. काट दी.
कहां की काट दी लाइट.
कहां पर बंद कर दी है लाइट.
भागीरथी विहार की.
अंधेरा है भाई सब हिन्दू भाई तैयार हैं फ्लैश जलाकर.
बहुत अच्छा...”
25 फरवरी की रात आठ बजे के करीब ग्रुप में एक और मैसेज आया, ‘‘देखो भाइयों जो होगा अब तो होगा ही पर किसी मुल्ले को छोड़ना मत, साले को जान से मार देना. आज मंगलवार का दिन है, मुल्लो की मां की चु….चाहिए ’’
19 वर्षीय लोकेश सोलंकी इस ग्रुप का सबसे सक्रिय सदस्य था. उसने 25 फरवरी की रात ग्यारह बजे एक हैरान करने वाली जानकारी साझा की.
ग्रुप में घर बैठे लोगों पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए लोकेश ने लिखा..
“मेरी एक बात समझ में नहीं आ रही. ग्रुप में बकचोदी करने से क्या होगा. अगर कुछ करना है तो बाहर रोड पर आओ ना. मुल्लो की माँ चो... कल पूरी रात मैं भागीरथी विहार, गंगा विहार, गोकुलपुरी, जोहरीपुर, इन सब जगह घूमा हूं और 23 मुल्लों के सर फाड़े है. समझे भाई...”
सोलंकी ने 26 फरवरी की रात 11 बजकर 38 मिनट पर मैसेज किया.
‘‘भाई मैं गंगा विहार से लोकेश सोलंकी हूं, अगर किसी को कोई प्रॉब्लम हो और वहां लोग कम पड़ें तो बता देना मैं अपनी पूरी गंगा विहार की टीम के साथ आऊंगा. सारा सामान है हमारे पास. गोली-बंदूक सब कुछ.’’
इसके थोड़ी देर बाद 11:44 पर सोलंकी ने एक दूसरा मैसेज करके बताया, ‘‘तुम्हारे भाई ने अभी 9 बजे के करीब बी विहार में दो मुल्ला मारे है. और नाले में फेंक दिया.’’
बी विहार से सोलंकी का मतलब भागीरथी विहार से था.
इतना ही नहीं लोकेश इस मैसेज के थोड़ी देर बाद लिखता है, ‘‘विनय तुम्हें पता है ना तुम्हारा भाई सबसे आगे रहता है ऐसे कामों में.’’
26 फरवरी को ग्रुप में सोलंकी द्वारा मदद के लिए बुलाने की बता करने के बाद किसी ने पूछा- “15 k दाने हैं क्या, किसी भाई के पास. सवाल के साथ ही इस युवक ने एक नम्बर साझा करते हुए कहा कि इस भाई को ग्रुप में जोड़ दो. ये हिन्दू है.”
इसके जवाब लोकेश सोलंकी ने लिखा कि पिस्टल है हमारे पास.
जिस शख्स ने 15 k दाने मांग की थी उसने पूछा, “भाई फ़ालतू है क्या? भाई गोली है क्या किसी के पास 315 k की.”
इतना ही नहीं इस ग्रुप में एहतियात रखने की भी सलाह दी जा रही थी. मसलन
“भजनपुरा में मजार को जलाते हुए जो लड़का दिखाया गया है वह वीडियो कृपा करके अपने मोबाइल से डिलीट कर दें. और यह मैसेज अपने सभी ग्रुप में भेजे ताकि लड़के की जान बच जाए.”
“बंधू निवेदन है वीडियो बनाओ मगर कोई हिन्दू विडियो में कवर मत करो.”
“कोई ग्रुप में वीडियो ना सेंड करो. अभी मेरी गली में पुलिस वाले बोलकर गए है कि अपने फ़ोन में कोई भी ऐसी वीडियो ना रखें.”
मस्जिदों पर हमले की तैयारी और महिलाओं से दुर्व्यवहार करने के का उकसावा
दंगे के दौरान कई धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाया गया था. 'द क्विंट' में छपी खबर के अनुसार आरटीआई कार्यकर्ता यूसुफ़ नाकी द्वारा दायर दो अलग-अलग आरटीआई में पूछे गए सवालों के जवाब में, दिल्ली पुलिस ने बताया है कि हिंसा के दौरान 8 मस्जिद, 2 मदरसे, 1 दरगाह और 2 मंदिर क्षतिग्रस्त हुए थे.
दंगों, मस्जिदों में आग लगाने की प्लानिंग और आग लगाने की सूचना भी इस ग्रुप के सक्रिय सदस्यों द्वारा लगातार दी जा रही थी.
25 फरवरी की रात 9 बजे के करीब ग्रुप के एक सदस्य ने कहा कि “सभी भाईयों से अनुरोध है कि जो हमने आज 11 नम्बर की मदरसा तोड़ा है. कल सुबह 10 बजे सभी भाई एक हो कर आओ और उसमें एक मूर्ति स्थापित करनी है.”
26 फरवरी की सुबह दस बजे के करीब ग्रुप में इसी सदस्य ने लिखा- “भाई सुनो, आज सारे भाई तैयार रहो. आज शाम को फातिमा मस्जिद पर हमला बोलना है.”
यहीं नहीं मस्जिदों और मदरसों पर हमला करने के साथ-साथ मस्जिद के आसपास खड़ी मुस्लिम महिलाओं के साथ रेप करने की भी बात कही गई. 25 फरवरी की दोपहर 2 बजे के करीब में ग्रुप पर एक सदस्य ने इसको लेकर मैसेज किया, ''मस्जिदों की बहन....जो बहार बैठी थी मुल्लानी उनको....''
दंगे की उत्तरकथा : बाद में ग्रुप में क्या हुआ
दंगे ख़त्म होने के बाद ग्रुप में मुसलमानों को भरोसेमंद ना बताने वाले मैसेज साझा होने लगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुसलमानों को लेकर चुटकुले साझा किए गए. ग्रुप के सदस्य कविताएं साझा करने लगे. इन सांप्रदायिक कविताओं को हिन्दू धर्म का वास्ता देकर साझा करने के लिए कहा जाने लगा. मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार करने की बात की गई. उन्हें किराए पर कमरे नहीं देने की बात की जाने लगी.
लम्बे समय तक सोशल मीडिया पर मोदी और मुसलमानों को लेकर साझा होने वाला एक ‘चुटकुला’ ग्रुप में कई दफ़े साझा हुआ जिसमें बताया गया है, ‘‘मुसलमानों ने मोदी से कहा, 10-15 मिनट के लिए पुलिस हटाओ, एक भी हिंदू नहीं बचेगा. तो मोदी ने कहा, मैंने उन्हें गुजरात में 7-8 मिनट के लिए हटा दिया, अब आप केवल 10% हैं.’’
आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार और अरविंद केजरीवाल को लेकर अपमानजनक बातें की गई. लिखा गया, “भाइयों, यहां तक कि कुछ हिंदुओं ने लालच में आकर आप को वोट दिया. अरविन्द केजरीवाल को लेकर एक फेक न्यूज़ फैलाई गई कि दिल्ली पुलिस के जवान रतनलाल के घर पहुंचे अरविन्द केजरीवाल की पिटाई हुई. मार-मार कर दौड़ा दौड़ा कर भगाया गया.”
अन्य संदेशों में राणा अय्यूब, बरखा दत्त और रवीश कुमार जैसे पत्रकारों को भी निशाना बनाया. नितिन शुक्ला नाम के व्यक्ति का यूट्यूब वीडियो ग्रुप में खूब साझा किया गया.
ग्रुप कैसे लगा पुलिस के हाथों
दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में बताया है कि आमिर खान की हत्या में जब पुलिस ने आरोपियों को पकड़ा तो तीन लोग उनकी टीम के आसपास लगातार घूम रहे थे. आमिर की हत्या के आरोपी इसी कट्टर हिन्दू एकता ग्रुप का सदस्य है. पुलिस को शक हुआ तो इन्हें रोककर पूछताछ की गई. इनका फोन लेकर देखा गया तो पुलिस को इस ग्रुप की जानकारी मिली. चार्जशीट दायर करने तक पुलिस ने 125 सदस्यों में से 12 से पूछताछ की थी.
पुलिस ने चार्जशीट में बताया है कि ‘‘दिल्ली में हुए दंगों के कारण ये सभी व्यक्ति मुस्लिम समुदाय से नाराज़ थे. सोलंकी ने अपनी टीम के सदस्यों / दोस्तों के साथ मिलकर एक आपराधिक साज़िश रची थी और हिंदुओं की हत्या करने और उनकी संपत्ति को नष्ट करने / जलाने का हवाला देते हुए मुसलमानों से बदला लेने की योजना बनाई थी.”