दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और विवादों पर संक्षिप्त टिप्पणी.
अयोध्या में इतिहास रचा गया, वैसे तो अयोध्या खुद ही ऐतिहासिक है. लेकिन कोरोना के चलते आडवाणी समेत अधिकतर अयोध्या आंदोलन से जुड़े रहे पुराने नेता इस मौके पर अयोध्या जाने से वंचित रह गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में भूमिपूजन किया. इस बार की टिप्पणी में हमने हस्तिनापुर के अधिपति धृतराष्ट्र और उनके बालसखा संजय के जरिए अयोध्या में हुए घटनाक्रम को समझा. वही संजय जो महाभारत युद्ध के दौरान नेत्रहीन धृतराष्ट्र को रणक्षेत्र से आंखों देखा हाल सुनाते थे.
इसका एक नमूना देखिए- “हिंदुस्तान के तख्ते-ताऊस पर बैठे, नरेश और न्यायाधीश की भूमिका एक साथ निभा रहे धृतराष्ट्र ने आडवाणी से पूछा- इस रामराज्य में किसके-किसके लिए जगह होगी.क्या सुधा भारद्वाज को इस रामराज्य में न्याय मिलेगा. क्या वरवर राव, सोमा सेन, सुरेंद्र गडलिंग, रोना विल्सन, हैनी बाबू आदि को इसमे रहने की छूट मिलेगी? डॉक्टर कफील खान जेल में क्यों है? भीम आर्मी वाले चंद्रशेखर को कब तक दरबदर रखा जाएगा?
इसके अलावा अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर खबरिया चैनलों पर जारी प्रहसन पर छोटी सी टिप्पणी.
***
स्वतंत्र मीडिया को सपोर्ट करे, न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करे और गर्व से कहें 'मेरें खर्च पर आजाद हैं ख़बरे'.