एनबीएसए का आदेश, सुशांत सिंह राजपूत मामले में आजतक, ज़ी टीवी, न्यूज़24 और इंडिया टीवी मांगे माफी

एनबीएसए ने अपने आदेश में आजतक पर एक लाख रूपए का जुर्माना लगाया, तो वहीं एबीपी ग्रुप और न्यूज नेशन को चेतावनी देकर छोड़ा.

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न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अथॉरिटी (एनबीए) के सदस्य चैनलों के सेल्फ रेगुलेशन के लिए बनी स्वतंत्र संस्था न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) ने सुशांत सिंह राजपूत मामले में चैनलों द्वारा की गई रिपोर्टिंग की शिकायत पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया.

एनबीएसए ने कुल चार शिकायतों पर फैसला दिया, जिसमें आजतक, एबीपी न्यूज, न्यूज24, ज़ी न्यूज, इंडिया टीवी और न्यूज़ नेशन चैनल शामिल थे. चारों शिकायतों में चैनलों द्वारा की गई रिपोर्टिंग और उसपर किए शो का जिक्र किया गया था. शिकायत में शो के टैगलाइन से लेकर, सुशांत की डेड बॉडी दिखाने और टिकर में क्या लिखा गया था जैसे विषयों को शामिल किया गया था.

इस फैसले की प्रति हमें एक शिकायतकर्ता सौरभ दास ने मुहैया करायी है. इन चारों शिकायतों में हर शिकायत में आजतक चैनल का जिक्र किया गया. एनबीएसए ने हर शिकायत का फैसला अलग-अलग सुनाया. मृत एक्टर सुशांत सिंह के फेक ट्वीट मामले में एनबीएसए ने आजतक पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए साथ सात दिनों के अंदर एनबीए को राशि जमा करने का आदेश दिया है. तो वहीं इस प्रोग्राम से जुड़े वीडियो, सभी प्लेटफॉर्म यानी यूट्यूब और अन्य जगहों से हटाने का भी निर्देश दिया है.

एनबीएसए के चेयरमैन जज (रिटायर) एके सीकरी ने चैनलों के खिलाफ दर्ज हुई शिकायतों पर शिकायतकर्ताओं और चैनलों के प्रतिनिधियों के साथ 24 सितंबर को ऑनलाइन बैठक की थी.

सौरभ दास, रितुजा पाटिल, वरून सिंघला, पुलकित राठी, निलेश नवलखा और इंद्रजीत घोरपड़े ने आजतक, न्यूज24, ज़ी न्यूज के खिलाफ सुशांत सिंह मामले में टैगलाइन और टिकर में उपयोग की भाषा पर शिकायत की.

जिसमें आजतक के शो का जिक्र करते हुए कहा गया कि, चैनल ने अपने शो में हेडलाइन लिखा, “ऐसे कैसे हिट विकेट हो गए सुशांत?”, “सुशांत जिंदगी की पिच पर कैसे हिट विकेट हो गए”, “सुशांत इतने अशांत कैसे”. वहीं ज़ी न्यूज ने हेडलाइन चलाई, “सुशांत की मौत पर 7 सवाल” – “पटना का सुशांत, मुंबई में फेल क्यों” और न्यूज़ 24 ने लिखा, “अरे, आपने अपनी फिल्म क्यों नहीं देखी” ( इसमें सुशांत की फिल्म ‘छिछोरे’ का जिक्र किया गया था, जिसमें मेंटल हेल्थ की कहानी थी) दूसरा, “आप जिस चीज के लिए अपनी फिल्म में खड़े हुए, वह आप वास्तविक जीवन में भूल गए” (फिर से उसी फिल्म का जिक्र किया गया).

चैनलों के इन हेडलाइन पर जज एके सीकरी ने फैसला सुनाते हुए कहा, आजतक, ज़ी न्यूज़ और न्यूज़24 अपने इस शो के लिए मांफीनामा प्रसारित करेंगें. और माफी का शब्द, दिन और समय तीनों प्रसारकों को देना होगा. साथ ही एनबीएसए ने आजतक के हेडलाइन की निंदा की और कहा तीनों प्रसारक भविष्य में ऐसी गलती ना दोहराए.

एक दूसरी शिकायत में, जिसमें सुशांत की मौत के बाद उनके परिजनों से सवाल करने को लेकर था. इस मामले में आजतक के बारे में शिकायत की गई थी की, कि चैनल के रिपोर्टर परिवारजनों से उस समय सवाल कर रहे थे जब परिजन इस घटना से शॉक थे और बात करने की स्थिति में नहीं थे. इसी दौरान चैनल के एक रिपोर्टर ने सुशांत सिंह के पिता के घर में घुसकर उनसे सवाल किया, जो उस समय शोक में थे. वहीं एबीपी न्यूज के खिलाफ शिकायत की गई थी कि, चैनल ने सुशांत की चचेरी बहन का इंटरव्यू किया, जो उस समय घटना के बाद शोक में थी.

इस शिकायत पर एनबीएसए ने फैसला सुनाते हुए आजतक को फिर से मांफीनामा प्रसारित करने को कहा. वहीं एबीपी न्यूज मामले में कहा, क्योंकि मृतक की बहन ने खुद से चैनल को इंटरव्यू दिया था, इसलिए चैनल को हिदायत दी जाती हैं कि वह भविष्य में ऐसे समय में मृतक के परिवारजनों को शोक के मौके पर इंटरव्यू ना करें खासकर इस तरह के मामलों में.

एक अन्य शिकायत आजतक, इंडिया टीवी, एबीपी मांझा और न्यूज नेशन के खिलाफ किया गया था. जिसमें मृतक अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की डेडबॉडी दिखाए जाने को लेकर था. शिकायर्ताओं ने कहा गया, उपरोक्त प्रसारकों ने मृतक की गरिमा और मानवाधिकारों का गंभीर अपमान किया है.

इस मामले में एनबीएसए ने न्यूज नेशन को चेतावनी देकर छोड़ दिया. उसने कहा, क्योंकि चैनल ने पहले ही अपने इस कृत्य पर माफी मांग ली है और आश्वासन दिया हैं कि वह आगे से ऐसा नहीं करेगा.

वहीं आजतक और इंडिया टीवी के लिए कहा कि, दोनों चैनलों को अपने इस टेलीकास्ट के लिए मांफी मांगनी चाहिए जिसमें उन्होंने सुशांत की डेडबॉडी को दिखाया. और एबीपी मांझा को चेतावनी देते हुए कहा कि वह इस तरह के उल्लंघन आगे ना करें.

बता दें कि एनबीएसए, एनबीए चैनलों का एक स्वतंत्र संस्था हैं जो इसके सदस्यों चैनलों को सेल्फ रेगुलेशन के लिए बनाया गया है. इसके चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज होते है. वर्तमान में इसके जज एके सीकरी हैं.

एनबीएसए सिर्फ एनबीए के सदस्यों के मामलों की सुनवाई करता है. रिपब्लिक टीवी एनबीए का सदस्य नहीं है, इसलिए वह एनबीएसए के न्याय क्षेत्र में नहीं आता है. गौरलतब हैं कि 2019 में अर्णब गोस्वामी की अध्यक्षता में देश के 78 से ज्यादा टीवी चैनलों ने एक नए सगंठन को बनाया जिसका नाम हैं एनबीएफ (नेशनल ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन).

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