इस बयान के बाद उनके विरोधी और सोशल मीडिया पर लोग उनकी आलोचना कर रहे हैं.
क्या राशन कार्ड नहीं तो नहीं मिलेगा राशन?
राशन कार्ड ना होने पर भी कई राज्य सरकारें लोगों को राशन मुहैया करा रही हैं. रिसर्चर और स्वतंत्र पत्रकार सुमित कहते हैं, “कई राज्य सरकारों ने कोरोना काल के दौरान प्रवासी मजदूरों को राशन मुहैया कराने के लिए अपने खर्च पर राशन वितरण शुरू किया है. हालांकि यह साफ नहीं है कि लोगों को कैसे बिना राशन कार्ड के राशन मिलेगा.”
उत्तर प्रदेश सरकार ने अप्रैल 2020 में तीन महीने के लिए फ्री राशन वितरण की घोषणा की थी. तब योगी आदित्यनाथ ने कहा था, प्रदेश में मौजूद किसी भी शख्स के पास राशन कार्ड या आधार कार्ड नहीं भी है तब भी उसे जरूरत के अनुसार राशन उपलब्ध कराया जाए.
कई प्रदेशों में राशन कार्ड में नए नाम जोड़े जाने को लेकर समस्या है. उत्तर प्रदेश में राइट टू फूड कैंपेन से जुड़े सुरेश राठौर कहते हैं, “नए नाम राशन कार्ड में नहीं जोड़े जा रहे हैं. सब अधिकारी यही बोलते हैं कि अभी नाम नहीं जुड़ रहे हैं. राशन कार्ड से नाम तो कट जाता है लेकिन जुड़वाने के लिए आप भटकते रहो.”
राशन कार्ड में नाम नहीं जोड़ने पर सिराज दत्ता कहते हैं, “राज्य सरकारों का राशन कार्ड का कोटा पूरा हो चुका है, जो उन्हें साल 2013 में जारी किया गया था. इसलिए बहुत से राज्य या तो किसी राशन लाभार्थी की मौत के बाद नए नाम जोड़ते हैं या फिर टालते रहते हैं.”
इसी मुद्दे पर एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज अल जज़ीरा से बात करते हुए कहती हैं, "24 अगस्त 2021 को केंद्रीय उपभोक्ता और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मामलों के मंत्रालय ने कहा कि कोटा प्रणाली में कोई संशोधन अगली जनगणना के बाद ही संभव होगा. संभावना है कि महामारी समाप्त होने के बाद अगली जनगणना की जाएगी.”
प्रतापगढ़ जिले के एक गांव के कोटेदार (दुकानदार/वितरक) नाम नहीं बताने की शर्त पर कहते हैं, “जब से महामारी ने दस्तक दी है तब से नए राशन कार्ड नहीं बन रहे हैं. अगर आधार लिंक नहीं है तो राशन नहीं दिया जाता है. क्योंकि अब राशन फिंगर इंप्रेशन (बायोमेट्रिक स्कैन) से ही मिल रहा है.”
कोटेदार बताते हैं कि उनकी जानकारी के अनुसार प्रतापगढ़ जिले से ही लगभग 1 से 1.5 लाख लोगों को राशन सूची से लोगों को बाहर किया गया है. हालांकि वो तर्क देते हैं कि जो पात्र नहीं हैं उनके ही नाम कटे हैं. लेकिन इसका आधार क्या ये उनको पता नहीं है.
नाम कटने को लेकर एक जनसेवा केंद्र चलाने वाले मोहम्मद फैसल कहते हैं, “अगर आपकी वार्षिक आय 40 हजार रुपये से अधिक हो जाती है तो आपका नाम राशन सूची से बाहर कर दिया जाता है. आप इसके पात्र नहीं रह जाते हैं. यह भी एक कारण है नाम कटने का.”
गरीब कल्याण कार्ड का वादा
भारतीय जनता पार्टी ने 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपने ‘लोक कल्याण संकल्प पत्र’ में गरीबी उन्मूलन को प्राथमिकता देते हुए ‘गरीब कल्याण कार्ड’ की बात कही थी. लेकिन सरकार ने साढ़े चार साल पूरे होने के बावजूद भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. वहीं इस बीच पार्टी राज्य में 26 सिंतबर से 2 अक्टूबर के बीच गरीब कल्याण सम्मेलन का आयोजन करने जा रही है. इस सम्मेलन के जरिए सरकार अपना रिपोर्ट कार्ड भी पेश करेगी.
बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कहा था कि, प्रदेश के सभी गरीबों तक बिना जाति-धर्म और भेद-भाव के सरकारी कल्याण योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए ‘गरीब कल्याण कार्ड’ का वितरण किया जाएगा.
पार्टी ने कहा था कि गरीब कल्याण कार्ड के जरिए बीपीएल और राशन कार्ड धारकों को सरकारी सुविधाओं का पारदर्शी तरीके से हस्तांतरण किया जाएगा. साथ ही जनधन एवं आधाऱ योजना की नींव पर बना यह गरीब कल्याण कार्ड प्रदेश के आर्थिक समावेश एवं सामाजिक उत्थान के लिए एक क्रांतिकारी पहल होगी.
इसके साथ ही पार्टी ने कई अन्य दावे भी किए थे. लेकिन उनमें से किसी को भी अमल में नहीं लाया गया है.
गरीब कल्याण कार्ड पर न्यूज़लॉन्ड्री ने वाराणसी, प्रतापगढ़, बाराबंकी, आजमगढ़ समेत कई जिलों में लोगों के बात की लेकिन किसी ने भी इस कार्ड से संबंधित कोई भी जानकारी होने से इंकार कर दिया.
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(तहजीब रहमान और तहसीम फातिमा के सहयोग से)