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कश्मीर पर एबीपी न्यूज़ ने चलाई भ्रामक ख़बर
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को जब से केंद्र सरकार ने खत्म किया है तब से कश्मीर के हालात को लेकर अलग-अलग तरह की ख़बरें आ रही है. कुछ मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट बताती है कि कश्मीर में जनजीवन समान्य हो रहा है वहीं कुछ मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर में कई जगहों पर हिंसक झड़प हुई है. हालात समान्य नहीं हैं.
5 अगस्त यानी जिस रोज गृहमंत्री अमित शाह राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटाने, जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने का और उसे यूनियन टेरिटरी बनाने का बिल लाए उस दिन से ही कश्मीर में अख़बार प्रकाशित नहीं हो रहे हैं. वहां इंटरनेट और फोन बंद हैं. भले ही कश्मीर में अख़बार नहीं छप रहा हो, लेकिन शेष भारत और भारतीय मीडिया में कश्मीर की ही चर्चा चल रही है. तमाम मीडिया संस्थानों के रिपोर्टर कश्मीर पहुंचे हुए हैं.
एबीपी न्यूज़ की प्राइम टाइम एंकर रुबिका लियाकत भी कश्मीर पहुंची थी. वहां से रुबिका लियाकत ने नौ अगस्त को अशरफ आज़ाद नाम के एक शख्स का इंटरव्यू किया है. जिसका वीडियो एबीपी न्यूज़ के नए वेंचर ‘अनकट’ पर मौजूद है. यह वीडियो काफी प्रचारित हो रहा है. इस वीडियो को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय और दिल्ली बीजेपी के फेसबुक पेज से भी शेयर किया गया. बीजेपी ने इसे शेयर करते हुए लिखा है- ‘ये है कश्मीर की आवाज़- मोदी साहब आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं. अनुच्छेद 370 हटने के बाद हर कश्मीरी तक पहुंचेगा विकास और रोजगार.’
आप सोच रहे होंगे कि इसमें हैरान करने वाली बात क्या है. दरअसल रुबिका लियाकत ने जिन अशरफ आज़ाद से बात की, और जिनका परिचय ‘ऑल जम्मू-कश्मीर पीस काउन्सिल’ के चेयरमैन के रूप में दिया वह अधूरा सच है. अशरफ आज़ाद भारतीय जनता पार्टी के घाटी में सबसे पुराने कार्यकर्ताओं में से एक हैं. लेकिन यह बात न तो अशरफ आज़ाद ने पूरे इंटरव्यू के दौरान बताई ना ही रुबिका लियाक़त ने.
आठ मिनट लम्बे इस इंटरव्यू में अशरफ केंद्र सरकार के फैसले की जमकर तारीफ़ करते हैं. नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हैं और 370 हटाने के निर्णय की हिमायत करते हैं. इसके अलावा अशरफ कश्मीरी नेताओं (जो आर्टिकल 370 हटाए जाने का विरोध कर रहे हैं) की जमकर आलोचना करते हैं. अशरफ के सारे दावे वही हैं जो अन्य बीजेपी के नेता कर रहे हैं. आर्टिकल 370 खत्म होने से कश्मीर का विकास होगा और बेरोजगारी दूर होगी.
न्यूज़लॉन्ड्री के इस रिपोर्टर ने इस साल के शुरुआत में ही कश्मीर में बीजेपी की मौजूदगी को लेकर एक रिपोर्ट किया था. इस रिपोर्ट का मकसद था कि इतने खतरनाक हालात में भाजपा का झंडा-डंडा उठाने वाले श्रीनगर और घाटी में कौन लोग हैं, कितने लोग हैं. उसी दौरान इस रिपोर्टर की मुलाकात अशरफ आज़ाद से श्रीनगर के जवाहर नगर स्थित बीजेपी कार्यालय में हुई थी. अशरफ आज़ाद के साथ इस रिपोर्टर की लंबी बातचीत बीजेपी कार्यालय में ही हुई. बातचीत के दौरान कई दफा अशरफ ने उस वक़्त का जिक्र किया जब मुरली मनोहर जोशी 1992 में श्रीनगर के लाल चौक पर एकता यात्रा के तहत तिरंगा झंडा फहराने पहुंचे थे. अशरफ ने इस रिपोर्टर से दावा किया था कि तब उनकी मुलाकात वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी हुई थी. बातचीत के दौरान अशरफ आज़ाद, नरेंद्र मोदी को ‘नरेंद्र भाई’ ही कहकर संबोधित करते रहे.
अशरफ आज़ाद ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया था- “1992 में जब मुरली मनोहर जोशी लाल चौक पर झंडा फहराने आए थे. तब जोशी साहब के साथ नरेंद्र भाई भी थे. उस वक़्त इन लोगों की बातों को सुनकर मैं बीजेपी से जुड़ गया था. तब कश्मीर आतंक के साये में जी रहा था. कुछ साल पहले ही कश्मीरी पंडितों पर हमला हुआ था.”
खुद को बडगाम सरपंच संघ का अध्यक्ष बताने वाले अशरफ ने हमें बताया था कि बीजेपी से जुड़ने का नतीजा उन्हें भुगतना पड़ा है. उनके अनुसार, ‘‘तीन दफा मेरे घर को जला दिया गया. कई सालों तक मैं अपने बच्चों के साथ किराये के कमरे में रहने को मजबूर रहा. एक बार बाज़ार से लौट रहा था तो गाड़ी से एक्सीडेंट करवा दिया गया. मुझे मारने की हर कोशिश हुई, लेकिन खुदा मेरे साथ था.’’
अशरफ आज़ाद को पुलिस सुरक्षा मिली हुई है. हर वक़्त उनके साथ जम्मू कश्मीर पुलिस के तीन सिपाही रहते हैं. अशरफ आज़ाद से जिस रोज इस रिपोर्टर की मुलाकात हुई थी उस रोज अशरफ बीजेपी के महासचिव और जम्मू कश्मीर में पार्टी का काम देख रहे अशोक कौल के साथ मीटिंग कर रहे थे. उस रोज कश्मीर में बीजेपी से जुड़े ज्यादातर नेता पार्टी ऑफिस में ही मौजूद थे.
अशरफ आज़ाद की एक पहचान यह भी है कि कश्मीर से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर वे विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं. सितम्बर 2018 में प्रकाशित न्यूज़ 18 की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 1996 में अशरफ आज़ाद बडगाम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे. इस चुनाव में अशरफ को 2,750 वोट मिला था. अशरफ न्यूज़ 18 को बताते हैं कि तब कश्मीर में हालात बेहद ख़राब थे. यहां तक की मुझे भी वोट देने जाने का मौका नहीं मिला था.” इसी रिपोर्ट में अशरफ कहते हैं, ”आजकल मैं सक्रिय राजनीति से दूर हूं, लेकिन मैं जिंदगी भर बीजेपी का ही कार्यकर्ता रहूंगा.”
तो सवाल उठता है कि जिस अशरफ आज़ाद को रूबिका लियाक़त कश्मीर की जानी-मानी आवाज़ बता रही हैं, उस जानी मानी शख्सियत की राजनीतिक पृष्ठभूमि उन्हें नहीं मालूम थी, ये बात किसी के गले नहीं उतरती. क्या रुबिका लियाकत ने जान जानबूझकर अशरफ आज़ाद की पहचान छुपाई? 90 के दशक में नरेंद्र मोदी से अपनी मुलाकात का बार-बार जिक्र करने वाले अशरफ आज़ाद ने पूरे इंटरव्यू के दौरान एक दफा भी अपने बीजेपी से जुड़ाव के बारे में खुद क्यों नहीं बताया? क्या यह सब सिर्फ संयोग हो सकता है?
यह मजह संयोग नहीं हो सकता. यह जानबूझकर कश्मीर की भ्रामक तस्वीर पेश करने की कोशिश है. रूबिका जैसे पत्रकार और एबीपी न्यूज़ जैसे मीडिया संस्थान सरकार की धुन पर नाच रहे हैं और इस मद में तथ्यों के साथ खुलेआम खिलवाड़ कर रहे हैं.
अशरफ आज़ाद पर पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ सकते हैं. (कश्मीर घाटी में भाजपाई होने का क्या मतलब है?)
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