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उत्तर प्रदेश: आखिर जब लड़की-लड़का पक्ष राजी थे तो क्यों रुकवाई गई शादी?
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पारा इलाके में समान्य दिनों की तरह ही सड़कों पर चहल-पहल नजर आती है. यहां के डूडा कॉलोनी के पास पहुंचकर हम लोगों से उस परिवार के बारे में पूछते हैं जिनके यहां पुलिस ने शादी रुकवाई थी. सड़क पर खड़े राकेश कुमार गली में इशारा करते हुए बताते हैं कि गुमटी के पास वाला लड़की का घर है और उसके दो घर छोड़कर लड़के का. हम गली की तरफ बढ़ते हैं तो एक पोस्टर नज़र आता है जिसपर ‘सर्व धर्म मैरिज ब्यूरो’ लिखा हुआ है. इसी गली में एक हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के की शादी हिंदूवादी संगठनों के दबाव में पुलिस द्वारा रुकवा दी गई है. जो आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है.
उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कानून आने के बाद यह शादी रुकवाने का पहला मामला था.
‘‘हम लोगों की इज़्ज़त तो आप मीडिया वालों ने उछाल दी. मेरे परिवार के बारे में वो सब लिखा गया जो हमें ही नहीं पता था. बड़ी बेटी है. हमें उसकी फ़िक्र नहीं होगी तो क्या दूसरे लोगों को होगी? अब वो किसी से बात तक नहीं कर रही है. चुप ही रहती है. हमें कोई शिकायत ही नहीं थी फिर भी ये सब हुआ. अब आपको क्या बताएं. आप भी जो मन में आए लिख दो. हम गरीब हैं, किसी का क्या ही बिगाड़ पाएंगे?’’
यह कहना है पारा के डूडा कॉलोनी में रहने वाले विजय कुमार गुप्ता का. विजय की 22 वर्षीय बेटी रैना की शादी दो दिसंबर को मुस्लिम समुदाय के युवक आदिल शेख से होनी थी. पूरा परिवार शादी के तैयारियों में जुटा हुआ था. कुछ रिश्तेदार आ भी चुके थे तभी बिना बुलाये पुलिस के लोग पहुंचे और शादी रुकवा दी गई.
इस घटना के 15 दिन बाद हम विजय के घर पहुंचे. साफ़ नजर आता है कि शादी के लिए घर का रंगरोगन किया गया था. दरवाजे पर अभी भी शुभ का संकेत बना हुआ है. ज़्यादातर रिश्तेदार तो वापस लौट गए हैं, लेकिन कुछ अभी भी रुके हुए हैं. घर के सामने ही पान- गुटखा की गुमटी चलाने वाले विजय एक कुर्सी लगाकर गुमटी के सामने बैठे हुए हैं. एक दुर्घटना में घायल होने से विजय की उंगलियों में घाव हैं उस पर मक्खियां आकर बैठ जाती हैं. उसे भगाते हुए वो कहते हैं, ‘‘जो होना था वो तो हो गया. मैं आपको अब क्या ही बताऊं.’’
हिन्दू और मुस्लिम दोनों रिवाज से होनी थी शादी
डूडा कॉलोनी के रहने वाले आदिल और रैना का घर एक ही गली में दो मकान के अंतर पर है. दोनों एक दूसरे से लम्बे समय से प्रेम कर रहे थे. इनके बीच प्रेम संबंध था इसकी तस्दीक आसपास के दुकानदार और नौजवान भी करते हैं.
लम्बे समय तक रिश्ते में रहने के बाद दोनों का परिवार भी शादी के लिए राजी हो गया था. शादी दोनों मजहब के हिसाब से होनी थी. आदिल हिन्दू रीतिरिवाज से रैना से शादी करके अपने घर ले जाता और फिर वहां मुस्लिम रीतिरिवाज से भी शादी होती. इसकी तारीफ भी कुछ लोग करते नजर आते हैं, लेकिन हिंदूवादी संगठनों को यह नागवार गुजरा और उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस को कर दी जिसके बाद इसे रोक दिया गया.
प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ लव आजाद कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिसमें ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमेन एसोसिएशन भी शामिल है. संगठन की राज्य सचिव मीना सिंह कहती हैं, ‘‘हिंदूवादी संगठनों की लव जिहाद की जो परिभाषा है. उसमें लड़की को बहला-फुसलाकर शादी करने की बात करते हैं हालांकि ऐसा होता नहीं है. कोई किसी लड़की को कैसे बहला-फुसला सकता है. एक बार के लिए मान भी लें तो इसमें तो ऐसा हो नहीं रहा था. दोनों पक्ष के लोग राजी थे फिर भी शादी रुकवा दी. यह साफ इशारा करता है कि इस कानून का मकसद लड़कियों को अपने लिए बेहतर चुनाव करने की आज़ादी को छीनना है. जो हमें संविधान से मिली हुई है.’’
जब दोनों पक्ष राजी थे तो इससे परेशानी किसे हुई इसका जवाब हमें गली में प्रवेश करते वक़्त मिले राकेश कुमार से होती है. राकेश से जब हम इस शादी को लेकर पूछते हैं तो पहले वह मेरा नाम पूछते हैं. नाम पूछने के बाद सामने खड़ी एक गाय की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, ‘‘ये गाय है न. हम लोगों के यहां इसका क्या होता है. पूजा न. उनके यहां? तो बताइये आप चाहेंगे कि उनके यहां आपकी बहन या बेटी की शादी हो. नहीं न. हम लोगों को इसी से परेशानी थी.’’
राकेश आगे कहते हैं, ‘‘उनके यहां आज एक लड़की की शादी होती. हम चुप रह जाते. दूसरी लड़कियों पर इसका क्या असर पड़ता. कल को यह इलाके की लड़कियों के लिए उदाहरण बन जाती. क्या असर पड़ता हमारी आने वाली पीढ़ी पर. पुलिस ने ठीक किया. डीएम से अनुमति मिलने पर शायद यह शादी हो जाए, लेकिन हम लोग नहीं चाहते की ऐसा हो.’’
शादी तय काफी पहले हो गई थी. आसपास के लोग इसमें शरीक भी हो रहे थे. विजय कहते हैं, ‘‘इसकी मां बैंक में काम करने जाती है. मैं तो हर वक़्त दुकान पर ही रहता हूं. किसी को कोई परेशानी थी तो मुझसे कह सकते थे, लेकिन हमसे किसी ने कुछ नहीं कहा. हमारे घर पर सीधे पुलिस के लोग आए और हमें थाने चलने को बोला. हम थाने पहुंचे तो हमें बताया गया कि सरकार ने एक कानून पास किया है. जिसमें अलग-अलग धर्म में शादी करने वालों को जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी. आप यह शादी रोक दो. अनुमति लेकर कर लेना. हमारे पास उनकी बात मानने के सिवाए कोई रास्ता नहीं था. हमने शादी रोक दी. हमारा काफी खर्च हो गया था, लेकिन नुकसान कुछ नहीं हुआ. जो खाने-पीने का समान तैयार हुआ था वो हमने रिश्तेदारों और पड़ोसियों को खिला दिया.’’
विजय गुप्ता, रैना के सौतेले पिता हैं. उनके अपने पिता का निधन हो गया है. वो हमें रैना से बात करने से मना करते हैं. हमारे कहने पर वो एक बार घर के अंदर जाकर वापस आते हैं और बताते हैं कि वो किसी से बात नहीं करना चाहती है. दिनभर गुमसुम रहती है.
‘लड़कियों के निडर हो जाने का डर’
इस शादी को रुकवाने के लिए हिन्दू महासभा और राष्ट्रीय युवा वाहिनी के लोग सामने आए थे. जो स्थानीय पारा थाने के एसएचओ त्रिलोकी सिंह की बातों से भी साफ होता है. प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक त्रिलोकी सिंह ने शादी रुकवाने के बाद बताया कि आदिल बारात लेकर विजय गुप्ता के घर पहुंचने ही वाला था तभी अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के जिलाध्यक्ष बृजेश कुमार शुक्ला ने पुलिस को इस शादी के बारे में जानकारी दी और रोकने की मांग की. इसके बाद शाम को पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शादी रुकवाई .
राष्ट्रीय युवा वाहिनी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रमुख मोहम्मद यासिर खान ने इसको लेकर सहायक पुलिस आयुक्त लखनऊ को एक पत्र लिखा. यह पत्र दो दिसंबर को लिखा गया.
सहायक आयुक्त को लिखे अपने पत्र में यासिर खान लिखते हैं, ‘‘आपको सादर अवगत कराना है कि एक प्रकरण संज्ञान में आया है. आदिल पुत्र अज्ञात निवासी डूडा कॉलोनी नरपत खेड़ा, थाना पारा जिला लखनऊ के हैं. इनके द्वारा नवीन कानून लव जिहाद का उल्लंघन किया जा रहा है. क्योंकि यह रैना पुत्री मंजू से आज शादी करने जा रहे हैं. हमारे और हमारे संगठन का मानना है कि शादी से कोई एतराज नहीं परन्तु नए कानून का पालन कराना हम सभी का कर्तव्य है. ऐसा न होने पर कभी कोई घटना घट सकती है. अतः मैं चाहता हूं कि शादी समारोह को तत्काल प्रभाव से स्थगित करते हुए नवीन कानून व्यवस्था के अनुसार शादी समारोह समापन का कष्ट किया जाए.’’
ठीक ऐसा ही पत्र अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के जिला अध्यक्ष बृजेश कुमार शुक्ला द्वारा दो दिसंबर को पारा थाने के थानाध्यक्ष को लिखा गया. जिसका विषय था- हिन्दू धर्म की लड़की को गैर धर्म ( मुस्लिम ) में धर्म परिवर्तन के तहत विवाह किये जाने के संबंध में.
दो दिसंबर, जिस रोज शादी हो नी थी उसी दिन ये दोनों पत्र लिखे गए. पुलिस ने तत्काल इसका संज्ञान लेते हुए दोनों परिवारों को थाने बुलाकर जिलाधिकारी से अनुमति मिलने तक शादी रोक देने की बात कही गई.जिस घर में जश्न का माहौल था वो दुःख में बदल गया. विजय बताते हैं, ‘‘हम लोग अपना अपमान तो सह गए लेकिन बेटी पर इसका असर हुआ. वो बात तक करने को राजी नहीं है.’’
राष्ट्रीय युवा वाहिनी के प्रमुख केडी शर्मा का आवास पारा इलाके में ही है. जो लड़के और लड़की के घर से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर है. इनके संगठन के अल्पसंख्यक प्रकोष्ट के प्रदेश प्रमुख ने ही पत्र लिखा था. दावों के मुताबिक स्थानीय हिन्दू परिवार के लोग केडी शर्मा के पास ही गए थे.
केडी शर्मा न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘मेरे पास लड़के या लड़की के परिवार से कोई नहीं आया था. ना वहां से कोई मुस्लिम परिवार का आया. इलाके के हिन्दू परिवार के लोग ज़रूर आए और उन्होंने बताया कि एक विशेष समुदाय के लड़के से शादी हो रही है. इसके लिए मंडप लगाया गया है. इसका हमारी लड़कियों पर गलत असर होगा. वो निडर हो जाएंगी. ऐसे में हमारे संगठन ने उचित कार्रवाई के लिए सहायक आयुक्त साहब को पत्र लिखा. हम शादी के खिलाफ नहीं थे. लेकिन यह शादी छल कपट से हो रही थी. पूरे परिवार का माइंडवॉश किया गया था. यह पूरी तरह से लव जिहाद का मामला था.’’
जब लड़की के परिवार के लोग इस शादी से राजी थे. शादी की तारीख पहले से तय थी ऐसे में शादी वाले दिन पत्र लिखकर शादी रुकवाने का क्या मकसद? इस सवाल के जवाब में केडी शर्मा कहते हैं, ‘‘यह लव जिहाद था. लड़की के परिवार में सबका माइंडवॉश कर लिया लड़के वालों ने. लड़की का पिता तो शराबी है. सौतेला पिता है. लड़की पर दबाव था तो वो अपनी मां पर दबाव बनाई. मरने-वरने की बात की तो मां राजी हो गई. इस परिवार के अलावा कोई भी इस शादी से खुश नहीं था. लड़की के दबाव में परिवार के लोग जो कर रहे थे उन्हें इसकी समझ नहीं थी. उनकी आंखों पर काली पट्टी बंधी हुई थी. समाज के लोग पड़ोसी होने के कारण साथ दे रहे थे. वे इससे खुश नहीं थे.’’
लव जिहाद, शब्द की कानूनी मान्यता अभी तक नहीं है, लेकिन इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से मीडिया संस्थानों और दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों द्वारा किया जाता है. इसकी परिभाषा दी जाती है कि अपना नाम छिपाकर, हिन्दू बनकर मुस्लिम लड़के हिन्दू लड़कियों को अपने जाल में फंसाते हैं और फिर शादी कर लेते हैं. उसके बाद उनका धर्म परिवर्तन कराते हैं.
इस परिभाषा में यह मामला फिट नहीं बैठता फिर भी केडी शर्मा इसे पूरी तरह से लव जिहाद का ही बताते हैं. लड़की के पिता से जब हमने इसको लेकर सवाल किया तो वे हैरान हो जाते हैं. वे कहते हैं, ‘‘वो सामने जो दिख रहा है वो लड़के का घर है. मैं इस जगह पर बीते 25 साल से रहता हूं. उस परिवार को शुरू से ही जानता हूं ऐसे में यह लव जिहाद कैसे हुआ. हिन्दू-मुस्लिम से हटकर देखें तो वह एक अच्छा-समझदार पढ़ा लिखा लड़का है. नौकरी करता है. हम उसे और उसके परिवार को जानते हैं. लव जिहाद था ऐसा कहना गलत है. मीडिया के लोग तो सबसे ज़्यादा इस शब्द का इस्तेमाल किए. अख़बारों में खबरें छपीं. मुझे शराबी बताया गया. रिश्तेदारों में मेरी इज़्ज़त क्या रह गई. अब किसी रिश्तेदार का फोन आता है वो सहानुभूति भी देता है तो लगता है कि मुझपर हंस रहे हैं. दुनिया में शराब क्या सिर्फ मैं ही पीता हूं. नहीं न. जिसको जो मन में आया वो लिखा. सुबह अख़बार पढ़ते तो पता चलता कि हमसे बात किए बगैर ही अख़बारों में हमारी बात लिखी गई. सबकुछ हैरान करने वाला था.’’
क्या आप लोग शादी के राजी थे? इस सवाल को विजय टालते नज़र आते हैं. वे कहते हैं, ‘‘छोड़िए इस बात को. अब इसमें क्या रखा है. जो होना था वो तो हो गया. अब हमें और परेशान नहीं होना. जाइये आपके मन में जो आए आप भी लिख दीजिएगा.’’
कुछ देर की चुप्पी के बाद विजय फिर कहते हैं, ‘‘मां-बाप बच्चों की ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए अपनी ख्वाहिशों की गला घोंट देते हैं. बच्चों की ख़ुशी ही मां-बाप की ख़ुशी होती है. मेरी बेटी इस शादी से खुश थी तो हम भी उसके साथ खुश थे.’’
क्या आप पर किसी का दबाव था? इस सवाल पर विजय कुछ नहीं बोलते.
इसके बाद हम यासिर खान के पास पहुंचे जिन्होंने पुलिस को पत्र लिखकर तत्काल शादी रुकवाने की बात कही थी. यासिर खान बिज़नेस करते हैं और साथ ही राष्ट्रीय युवा वाहिनी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ट के प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका भी निभा रहे हैं. जब हमने उनसे पूछा कि आपको तत्काल शादी रुकवाने की ज़रूरत क्यों महसूस हुई. इसपर यासिर कहते हैं, ‘‘हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जी का फोन आया. उन्होंने हमें इस शादी के बारे में बताया. शादी से हमें कोई परेशानी नहीं थी और ना है. लेकिन कानून का पालन नहीं हो रहा था तो हमने पत्र लिखा. शादी हो तो हम भी उसमें शरीक होंगे. बारात का खर्च तक उठाएंगे, लेकिन कानून का पालन करके हो.’’
जब दोनों परिवार के लोग राजी थे. ऐसे में आपको क्यों लगा कि शादी गलत हो रही है. आपने अपने पत्र में लिखा कि कानून का पालन नहीं होने से कोई घटना घट सकती है. आपको किस घटना का डर था. इस सवाल पर यासिर कहते हैं, ‘‘इस मामले में कई और संगठन कूद गए थे. दंगा- फसाद भी हो सकता था. अगर जिलाधिकारी अनुमति दे देते हैं तो शायद ही किसी को इससे एतराज होगा. हमने शांति के लिए यह सब किया. यकीन मानिए हमें शादी से कोई ऐतराज नहीं है.’’
क्या यह मामला लव जिहाद का था? इस सवाल पर यासिर चुप्पी साध लेते हैं. आपको लगता है कि लव जिहाद जैसा कुछ होता है. इस पर भी वे चुप्पी साध लेते हैं.
किन संगठनों से आपको अशांति फैलाने का डर था. इस सवाल का भी वे ठीक से जवाब नहीं देते. लेकिन उनकी बातों से लगता है कि उनका इशारा हिन्दू महसभा की तरफ था. हिन्दू महसभा भी इस मामले में सक्रिय रूप से शामिल रही है.
‘नजीर नहीं बनना चाहिए’
न्यूज़लॉन्ड्री ने जब हिन्दू महासभा के लखनऊ जिला अध्यक्ष बृजेश कुमार शुक्ला से इस मामले में बात की तो उन्होंने बताया, ‘‘स्थानीय लोगों ने हमारे महनगर अध्यक्ष से संपर्क किया था. वहां के लोगों में इसको लेकर नाराजगी थी. वे इस तरह का नजीर नहीं बनने देना चाहते थे.’’
शुक्ला अपनी बातों में नजीर शब्द का कई बार इस्तेमाल करते हैं. वे कहते हैं, ‘‘जब हमारे संज्ञान में यह मामला आया तो हमने पारा थानाध्यक्ष को पत्र लिखा. पहले थानाध्यक्ष ने कहा कि जब लड़का-लड़की राजी है तो क्या करना. फिर हमें बताया गया कि लड़की का जो पिता है वो सौतेला है. वो नशे का भी आदी है. उन्हें नए कानून के बारे में बताया गया. फिर थानाध्यक्ष को लगा कि कहीं ना कहीं आगे चलकर इसपर विवाद होगा. कई मुस्लिम संगठनों ने भी इस शादी का विरोध किया था. ’’
लड़के या लड़की के परिवार से कोई आपके पास आया था. इस सवाल के जवाब में शुक्ला कहते हैं, ‘‘वे क्यों आएंगे. आसपास के लोग आए थे. वे इस मामले को नजीर नहीं बनने देना चाहते थे. वे जंगल में तो रहते नहीं है. समाज में रहते हैं. वहां के हिन्दू बच्चों में यह बात जाती की ऐसे शादी कर रहे हैं. कोई रोक नहीं रहा है. हम इसे नजीर नहीं बनने देना चाहते थे.’’
क्या यह लव जिहाद का मामला था. इस सवाल पर शुक्ला कहते हैं, ‘‘लोग तो ऐसा ही कह रहे हैं. जिस तरह से यह शादी हो रही थी समान्यत: ऐसा होता नहीं है. आज तक लव जिहाद को किसी ने साबित नहीं किया लेकिन लव जिहाद तो होता है. हमारी कोशिश है कि जो भी हो कानून सम्मत हो. हमारे सनातन धर्म पर भी असर न हो. अधिकारी से इजाज़त लेकर वो शादी करें हमें कोई दिक्क्त नहीं होगी.’’
राष्ट्रीय युवा वाहिनी और हिंदू महासभा दोनों का मकसद इसे नजीर यानी उदाहरण नहीं बनने देना था.
दैनिक जागरण समेत कई अख़बारों ने इसमें धर्मांतरण होने की बात लिखी थी. जब हमने इसको लेकर विजय से सवाल किए तो इससे इंकार करते नजर आए. वहीं आस पास के नौजवान लड़कों ने भी बताया कि दोनों अपना-अपना मजहब जीने की बात करते हैं. इस पूरे विवाद पर शुरुआती दौर में रिपोर्टिंग करने वाले फ्रीलांस पत्रकार असद रिजवी की लड़के के परिवार और लड़की की मां से बात हुई थी. वे बताते हैं उन्हें किसी ने धर्मांतरण कराने की बात नहीं बताई थी. लड़का और उसका परिवार भी नहीं चाहता था कि लड़की मुस्लिम बने और लड़की का परिवार भी नहीं चाहता था कि वो लड़का हिन्दू बने. दोनों अपना-अपना मजहब जीने की बात कर रहे थे. ये लोग शादी, समाज की मान्यता को मानने के लिए कर रहे थे.’’
केडी शर्मा इसको लेकर कहते हैं कि ऐसे कैसे मुमकिन है कि दो धर्म के लोग शादी करें और अलग-अलग धर्म माने. उनके बच्चे खान लिखेंगे या गुप्ता? गुप्ता तो नहीं ही लिखेंगे क्योंकि पिता से घर चलता है. देखिए ऐसा हो नहीं सकता. आज न कल लड़की का धर्मांतरण होता ही. इससे वह बच नहीं सकती थी.
इस पूरे विवाद में सबको कल की चिंता है. किसी को डर है कि हिंदू लड़कियों के लिए यह मामला उदाहरण बन जाएगा तो किसी को इनके होने वाले बच्चों की फ़िक्र नजर आती है.
लड़के के परिवार ने साधी चुप्पी
जब मामला सामने आया उस वक़्त लड़के का परिवार मीडिया से अपनी बात कह रहा था लेकिन अब परिवार ने चुप्पी साध रखी है. न्यूज़लॉन्ड्री ने लड़के और उसके परिवार से बात करने की कोशिश की लेकिन परिवार के किसी भी सदस्य से हमारी मुलाकात नहीं हो पाई. घर पर महिलाएं मिलीं जो कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर देती हैं.
घटना के वक़्त मीडिया से बात करते हुए लड़के के भाई आशिफ शेख ने कहा था, ‘‘दोनों परिवार शादी के लिए तैयार हैं लेकिन नए कानून के सभी प्रावधानों की जानकारी नहीं थी इसलिए बिना नोटिस दिए शादी कर रहे थे. अब हम डीएम की इजाज़त के लिए अप्लाई करेंगे और फिर शादी होगी.’’
जिलाधिकारी से अनुमति मिलने के बाद शायद यह शादी हो जाए क्योंकि जिन लोगों ने ऐतराज किया उनकी भी मांग यही थी कि शादी के लिए इजाज़त नहीं ली गई. पत्रकार असद रिज़वी भी ऐसा ही मानते हैं. रिज़वी की माने तो जिलाधिकारी की अनुमति मिलने के बाद ये संगठन शायद ही परेशान करेंगे क्योंकि पारा इलाके में इनकी कोई खास पकड़ नहीं है.
लड़की के पिता विजय ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि शादी के लिए उन्होंने जिलाधिकारी को आवेदन दे दिया है. जिलाधिकारी से अनुमति मिलने पर हम शादी करेंगे.
अब दोनों परिवारों को जिलाधिकारी से अनुमति मिलने का इंतज़ार है. क्या वे अब भी धूमधाम से शादी का आयोजन करेंगे, इस सवाल पर अभी कोई जवाब देने को तैयार नहीं है.
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'लव जिहाद': मिथ वर्सेस रियलिटी एनएल सेना प्रोजेक्ट की यह तीसरी स्टोरी है. पहला और दूसरा पार्ट पढ़ने के लिए क्लिक करें.
इस एनएल सेना प्रोजेक्ट में हमारे 138 पाठकों ने सहयोग किया है. यह मंयक गर्ग, राहुल कोहली और अन्य एनएल सेना के सदस्यों द्वारा संभव बनाया गया है. आप हमारे अगले एनएल लीगल फंड में सहयोग दे और गर्व से कहें मेरे ख़र्च पर आजाद हैं ख़बरें.
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पारा इलाके में समान्य दिनों की तरह ही सड़कों पर चहल-पहल नजर आती है. यहां के डूडा कॉलोनी के पास पहुंचकर हम लोगों से उस परिवार के बारे में पूछते हैं जिनके यहां पुलिस ने शादी रुकवाई थी. सड़क पर खड़े राकेश कुमार गली में इशारा करते हुए बताते हैं कि गुमटी के पास वाला लड़की का घर है और उसके दो घर छोड़कर लड़के का. हम गली की तरफ बढ़ते हैं तो एक पोस्टर नज़र आता है जिसपर ‘सर्व धर्म मैरिज ब्यूरो’ लिखा हुआ है. इसी गली में एक हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के की शादी हिंदूवादी संगठनों के दबाव में पुलिस द्वारा रुकवा दी गई है. जो आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है.
उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कानून आने के बाद यह शादी रुकवाने का पहला मामला था.
‘‘हम लोगों की इज़्ज़त तो आप मीडिया वालों ने उछाल दी. मेरे परिवार के बारे में वो सब लिखा गया जो हमें ही नहीं पता था. बड़ी बेटी है. हमें उसकी फ़िक्र नहीं होगी तो क्या दूसरे लोगों को होगी? अब वो किसी से बात तक नहीं कर रही है. चुप ही रहती है. हमें कोई शिकायत ही नहीं थी फिर भी ये सब हुआ. अब आपको क्या बताएं. आप भी जो मन में आए लिख दो. हम गरीब हैं, किसी का क्या ही बिगाड़ पाएंगे?’’
यह कहना है पारा के डूडा कॉलोनी में रहने वाले विजय कुमार गुप्ता का. विजय की 22 वर्षीय बेटी रैना की शादी दो दिसंबर को मुस्लिम समुदाय के युवक आदिल शेख से होनी थी. पूरा परिवार शादी के तैयारियों में जुटा हुआ था. कुछ रिश्तेदार आ भी चुके थे तभी बिना बुलाये पुलिस के लोग पहुंचे और शादी रुकवा दी गई.
इस घटना के 15 दिन बाद हम विजय के घर पहुंचे. साफ़ नजर आता है कि शादी के लिए घर का रंगरोगन किया गया था. दरवाजे पर अभी भी शुभ का संकेत बना हुआ है. ज़्यादातर रिश्तेदार तो वापस लौट गए हैं, लेकिन कुछ अभी भी रुके हुए हैं. घर के सामने ही पान- गुटखा की गुमटी चलाने वाले विजय एक कुर्सी लगाकर गुमटी के सामने बैठे हुए हैं. एक दुर्घटना में घायल होने से विजय की उंगलियों में घाव हैं उस पर मक्खियां आकर बैठ जाती हैं. उसे भगाते हुए वो कहते हैं, ‘‘जो होना था वो तो हो गया. मैं आपको अब क्या ही बताऊं.’’
हिन्दू और मुस्लिम दोनों रिवाज से होनी थी शादी
डूडा कॉलोनी के रहने वाले आदिल और रैना का घर एक ही गली में दो मकान के अंतर पर है. दोनों एक दूसरे से लम्बे समय से प्रेम कर रहे थे. इनके बीच प्रेम संबंध था इसकी तस्दीक आसपास के दुकानदार और नौजवान भी करते हैं.
लम्बे समय तक रिश्ते में रहने के बाद दोनों का परिवार भी शादी के लिए राजी हो गया था. शादी दोनों मजहब के हिसाब से होनी थी. आदिल हिन्दू रीतिरिवाज से रैना से शादी करके अपने घर ले जाता और फिर वहां मुस्लिम रीतिरिवाज से भी शादी होती. इसकी तारीफ भी कुछ लोग करते नजर आते हैं, लेकिन हिंदूवादी संगठनों को यह नागवार गुजरा और उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस को कर दी जिसके बाद इसे रोक दिया गया.
प्रदेश में लव जिहाद के खिलाफ लव आजाद कार्यक्रम चलाया जा रहा है. जिसमें ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमेन एसोसिएशन भी शामिल है. संगठन की राज्य सचिव मीना सिंह कहती हैं, ‘‘हिंदूवादी संगठनों की लव जिहाद की जो परिभाषा है. उसमें लड़की को बहला-फुसलाकर शादी करने की बात करते हैं हालांकि ऐसा होता नहीं है. कोई किसी लड़की को कैसे बहला-फुसला सकता है. एक बार के लिए मान भी लें तो इसमें तो ऐसा हो नहीं रहा था. दोनों पक्ष के लोग राजी थे फिर भी शादी रुकवा दी. यह साफ इशारा करता है कि इस कानून का मकसद लड़कियों को अपने लिए बेहतर चुनाव करने की आज़ादी को छीनना है. जो हमें संविधान से मिली हुई है.’’
जब दोनों पक्ष राजी थे तो इससे परेशानी किसे हुई इसका जवाब हमें गली में प्रवेश करते वक़्त मिले राकेश कुमार से होती है. राकेश से जब हम इस शादी को लेकर पूछते हैं तो पहले वह मेरा नाम पूछते हैं. नाम पूछने के बाद सामने खड़ी एक गाय की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, ‘‘ये गाय है न. हम लोगों के यहां इसका क्या होता है. पूजा न. उनके यहां? तो बताइये आप चाहेंगे कि उनके यहां आपकी बहन या बेटी की शादी हो. नहीं न. हम लोगों को इसी से परेशानी थी.’’
राकेश आगे कहते हैं, ‘‘उनके यहां आज एक लड़की की शादी होती. हम चुप रह जाते. दूसरी लड़कियों पर इसका क्या असर पड़ता. कल को यह इलाके की लड़कियों के लिए उदाहरण बन जाती. क्या असर पड़ता हमारी आने वाली पीढ़ी पर. पुलिस ने ठीक किया. डीएम से अनुमति मिलने पर शायद यह शादी हो जाए, लेकिन हम लोग नहीं चाहते की ऐसा हो.’’
शादी तय काफी पहले हो गई थी. आसपास के लोग इसमें शरीक भी हो रहे थे. विजय कहते हैं, ‘‘इसकी मां बैंक में काम करने जाती है. मैं तो हर वक़्त दुकान पर ही रहता हूं. किसी को कोई परेशानी थी तो मुझसे कह सकते थे, लेकिन हमसे किसी ने कुछ नहीं कहा. हमारे घर पर सीधे पुलिस के लोग आए और हमें थाने चलने को बोला. हम थाने पहुंचे तो हमें बताया गया कि सरकार ने एक कानून पास किया है. जिसमें अलग-अलग धर्म में शादी करने वालों को जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी. आप यह शादी रोक दो. अनुमति लेकर कर लेना. हमारे पास उनकी बात मानने के सिवाए कोई रास्ता नहीं था. हमने शादी रोक दी. हमारा काफी खर्च हो गया था, लेकिन नुकसान कुछ नहीं हुआ. जो खाने-पीने का समान तैयार हुआ था वो हमने रिश्तेदारों और पड़ोसियों को खिला दिया.’’
विजय गुप्ता, रैना के सौतेले पिता हैं. उनके अपने पिता का निधन हो गया है. वो हमें रैना से बात करने से मना करते हैं. हमारे कहने पर वो एक बार घर के अंदर जाकर वापस आते हैं और बताते हैं कि वो किसी से बात नहीं करना चाहती है. दिनभर गुमसुम रहती है.
‘लड़कियों के निडर हो जाने का डर’
इस शादी को रुकवाने के लिए हिन्दू महासभा और राष्ट्रीय युवा वाहिनी के लोग सामने आए थे. जो स्थानीय पारा थाने के एसएचओ त्रिलोकी सिंह की बातों से भी साफ होता है. प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक त्रिलोकी सिंह ने शादी रुकवाने के बाद बताया कि आदिल बारात लेकर विजय गुप्ता के घर पहुंचने ही वाला था तभी अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के जिलाध्यक्ष बृजेश कुमार शुक्ला ने पुलिस को इस शादी के बारे में जानकारी दी और रोकने की मांग की. इसके बाद शाम को पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शादी रुकवाई .
राष्ट्रीय युवा वाहिनी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रमुख मोहम्मद यासिर खान ने इसको लेकर सहायक पुलिस आयुक्त लखनऊ को एक पत्र लिखा. यह पत्र दो दिसंबर को लिखा गया.
सहायक आयुक्त को लिखे अपने पत्र में यासिर खान लिखते हैं, ‘‘आपको सादर अवगत कराना है कि एक प्रकरण संज्ञान में आया है. आदिल पुत्र अज्ञात निवासी डूडा कॉलोनी नरपत खेड़ा, थाना पारा जिला लखनऊ के हैं. इनके द्वारा नवीन कानून लव जिहाद का उल्लंघन किया जा रहा है. क्योंकि यह रैना पुत्री मंजू से आज शादी करने जा रहे हैं. हमारे और हमारे संगठन का मानना है कि शादी से कोई एतराज नहीं परन्तु नए कानून का पालन कराना हम सभी का कर्तव्य है. ऐसा न होने पर कभी कोई घटना घट सकती है. अतः मैं चाहता हूं कि शादी समारोह को तत्काल प्रभाव से स्थगित करते हुए नवीन कानून व्यवस्था के अनुसार शादी समारोह समापन का कष्ट किया जाए.’’
ठीक ऐसा ही पत्र अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के जिला अध्यक्ष बृजेश कुमार शुक्ला द्वारा दो दिसंबर को पारा थाने के थानाध्यक्ष को लिखा गया. जिसका विषय था- हिन्दू धर्म की लड़की को गैर धर्म ( मुस्लिम ) में धर्म परिवर्तन के तहत विवाह किये जाने के संबंध में.
दो दिसंबर, जिस रोज शादी हो नी थी उसी दिन ये दोनों पत्र लिखे गए. पुलिस ने तत्काल इसका संज्ञान लेते हुए दोनों परिवारों को थाने बुलाकर जिलाधिकारी से अनुमति मिलने तक शादी रोक देने की बात कही गई.जिस घर में जश्न का माहौल था वो दुःख में बदल गया. विजय बताते हैं, ‘‘हम लोग अपना अपमान तो सह गए लेकिन बेटी पर इसका असर हुआ. वो बात तक करने को राजी नहीं है.’’
राष्ट्रीय युवा वाहिनी के प्रमुख केडी शर्मा का आवास पारा इलाके में ही है. जो लड़के और लड़की के घर से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर है. इनके संगठन के अल्पसंख्यक प्रकोष्ट के प्रदेश प्रमुख ने ही पत्र लिखा था. दावों के मुताबिक स्थानीय हिन्दू परिवार के लोग केडी शर्मा के पास ही गए थे.
केडी शर्मा न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘मेरे पास लड़के या लड़की के परिवार से कोई नहीं आया था. ना वहां से कोई मुस्लिम परिवार का आया. इलाके के हिन्दू परिवार के लोग ज़रूर आए और उन्होंने बताया कि एक विशेष समुदाय के लड़के से शादी हो रही है. इसके लिए मंडप लगाया गया है. इसका हमारी लड़कियों पर गलत असर होगा. वो निडर हो जाएंगी. ऐसे में हमारे संगठन ने उचित कार्रवाई के लिए सहायक आयुक्त साहब को पत्र लिखा. हम शादी के खिलाफ नहीं थे. लेकिन यह शादी छल कपट से हो रही थी. पूरे परिवार का माइंडवॉश किया गया था. यह पूरी तरह से लव जिहाद का मामला था.’’
जब लड़की के परिवार के लोग इस शादी से राजी थे. शादी की तारीख पहले से तय थी ऐसे में शादी वाले दिन पत्र लिखकर शादी रुकवाने का क्या मकसद? इस सवाल के जवाब में केडी शर्मा कहते हैं, ‘‘यह लव जिहाद था. लड़की के परिवार में सबका माइंडवॉश कर लिया लड़के वालों ने. लड़की का पिता तो शराबी है. सौतेला पिता है. लड़की पर दबाव था तो वो अपनी मां पर दबाव बनाई. मरने-वरने की बात की तो मां राजी हो गई. इस परिवार के अलावा कोई भी इस शादी से खुश नहीं था. लड़की के दबाव में परिवार के लोग जो कर रहे थे उन्हें इसकी समझ नहीं थी. उनकी आंखों पर काली पट्टी बंधी हुई थी. समाज के लोग पड़ोसी होने के कारण साथ दे रहे थे. वे इससे खुश नहीं थे.’’
लव जिहाद, शब्द की कानूनी मान्यता अभी तक नहीं है, लेकिन इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से मीडिया संस्थानों और दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों द्वारा किया जाता है. इसकी परिभाषा दी जाती है कि अपना नाम छिपाकर, हिन्दू बनकर मुस्लिम लड़के हिन्दू लड़कियों को अपने जाल में फंसाते हैं और फिर शादी कर लेते हैं. उसके बाद उनका धर्म परिवर्तन कराते हैं.
इस परिभाषा में यह मामला फिट नहीं बैठता फिर भी केडी शर्मा इसे पूरी तरह से लव जिहाद का ही बताते हैं. लड़की के पिता से जब हमने इसको लेकर सवाल किया तो वे हैरान हो जाते हैं. वे कहते हैं, ‘‘वो सामने जो दिख रहा है वो लड़के का घर है. मैं इस जगह पर बीते 25 साल से रहता हूं. उस परिवार को शुरू से ही जानता हूं ऐसे में यह लव जिहाद कैसे हुआ. हिन्दू-मुस्लिम से हटकर देखें तो वह एक अच्छा-समझदार पढ़ा लिखा लड़का है. नौकरी करता है. हम उसे और उसके परिवार को जानते हैं. लव जिहाद था ऐसा कहना गलत है. मीडिया के लोग तो सबसे ज़्यादा इस शब्द का इस्तेमाल किए. अख़बारों में खबरें छपीं. मुझे शराबी बताया गया. रिश्तेदारों में मेरी इज़्ज़त क्या रह गई. अब किसी रिश्तेदार का फोन आता है वो सहानुभूति भी देता है तो लगता है कि मुझपर हंस रहे हैं. दुनिया में शराब क्या सिर्फ मैं ही पीता हूं. नहीं न. जिसको जो मन में आया वो लिखा. सुबह अख़बार पढ़ते तो पता चलता कि हमसे बात किए बगैर ही अख़बारों में हमारी बात लिखी गई. सबकुछ हैरान करने वाला था.’’
क्या आप लोग शादी के राजी थे? इस सवाल को विजय टालते नज़र आते हैं. वे कहते हैं, ‘‘छोड़िए इस बात को. अब इसमें क्या रखा है. जो होना था वो तो हो गया. अब हमें और परेशान नहीं होना. जाइये आपके मन में जो आए आप भी लिख दीजिएगा.’’
कुछ देर की चुप्पी के बाद विजय फिर कहते हैं, ‘‘मां-बाप बच्चों की ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए अपनी ख्वाहिशों की गला घोंट देते हैं. बच्चों की ख़ुशी ही मां-बाप की ख़ुशी होती है. मेरी बेटी इस शादी से खुश थी तो हम भी उसके साथ खुश थे.’’
क्या आप पर किसी का दबाव था? इस सवाल पर विजय कुछ नहीं बोलते.
इसके बाद हम यासिर खान के पास पहुंचे जिन्होंने पुलिस को पत्र लिखकर तत्काल शादी रुकवाने की बात कही थी. यासिर खान बिज़नेस करते हैं और साथ ही राष्ट्रीय युवा वाहिनी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ट के प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका भी निभा रहे हैं. जब हमने उनसे पूछा कि आपको तत्काल शादी रुकवाने की ज़रूरत क्यों महसूस हुई. इसपर यासिर कहते हैं, ‘‘हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जी का फोन आया. उन्होंने हमें इस शादी के बारे में बताया. शादी से हमें कोई परेशानी नहीं थी और ना है. लेकिन कानून का पालन नहीं हो रहा था तो हमने पत्र लिखा. शादी हो तो हम भी उसमें शरीक होंगे. बारात का खर्च तक उठाएंगे, लेकिन कानून का पालन करके हो.’’
जब दोनों परिवार के लोग राजी थे. ऐसे में आपको क्यों लगा कि शादी गलत हो रही है. आपने अपने पत्र में लिखा कि कानून का पालन नहीं होने से कोई घटना घट सकती है. आपको किस घटना का डर था. इस सवाल पर यासिर कहते हैं, ‘‘इस मामले में कई और संगठन कूद गए थे. दंगा- फसाद भी हो सकता था. अगर जिलाधिकारी अनुमति दे देते हैं तो शायद ही किसी को इससे एतराज होगा. हमने शांति के लिए यह सब किया. यकीन मानिए हमें शादी से कोई ऐतराज नहीं है.’’
क्या यह मामला लव जिहाद का था? इस सवाल पर यासिर चुप्पी साध लेते हैं. आपको लगता है कि लव जिहाद जैसा कुछ होता है. इस पर भी वे चुप्पी साध लेते हैं.
किन संगठनों से आपको अशांति फैलाने का डर था. इस सवाल का भी वे ठीक से जवाब नहीं देते. लेकिन उनकी बातों से लगता है कि उनका इशारा हिन्दू महसभा की तरफ था. हिन्दू महसभा भी इस मामले में सक्रिय रूप से शामिल रही है.
‘नजीर नहीं बनना चाहिए’
न्यूज़लॉन्ड्री ने जब हिन्दू महासभा के लखनऊ जिला अध्यक्ष बृजेश कुमार शुक्ला से इस मामले में बात की तो उन्होंने बताया, ‘‘स्थानीय लोगों ने हमारे महनगर अध्यक्ष से संपर्क किया था. वहां के लोगों में इसको लेकर नाराजगी थी. वे इस तरह का नजीर नहीं बनने देना चाहते थे.’’
शुक्ला अपनी बातों में नजीर शब्द का कई बार इस्तेमाल करते हैं. वे कहते हैं, ‘‘जब हमारे संज्ञान में यह मामला आया तो हमने पारा थानाध्यक्ष को पत्र लिखा. पहले थानाध्यक्ष ने कहा कि जब लड़का-लड़की राजी है तो क्या करना. फिर हमें बताया गया कि लड़की का जो पिता है वो सौतेला है. वो नशे का भी आदी है. उन्हें नए कानून के बारे में बताया गया. फिर थानाध्यक्ष को लगा कि कहीं ना कहीं आगे चलकर इसपर विवाद होगा. कई मुस्लिम संगठनों ने भी इस शादी का विरोध किया था. ’’
लड़के या लड़की के परिवार से कोई आपके पास आया था. इस सवाल के जवाब में शुक्ला कहते हैं, ‘‘वे क्यों आएंगे. आसपास के लोग आए थे. वे इस मामले को नजीर नहीं बनने देना चाहते थे. वे जंगल में तो रहते नहीं है. समाज में रहते हैं. वहां के हिन्दू बच्चों में यह बात जाती की ऐसे शादी कर रहे हैं. कोई रोक नहीं रहा है. हम इसे नजीर नहीं बनने देना चाहते थे.’’
क्या यह लव जिहाद का मामला था. इस सवाल पर शुक्ला कहते हैं, ‘‘लोग तो ऐसा ही कह रहे हैं. जिस तरह से यह शादी हो रही थी समान्यत: ऐसा होता नहीं है. आज तक लव जिहाद को किसी ने साबित नहीं किया लेकिन लव जिहाद तो होता है. हमारी कोशिश है कि जो भी हो कानून सम्मत हो. हमारे सनातन धर्म पर भी असर न हो. अधिकारी से इजाज़त लेकर वो शादी करें हमें कोई दिक्क्त नहीं होगी.’’
राष्ट्रीय युवा वाहिनी और हिंदू महासभा दोनों का मकसद इसे नजीर यानी उदाहरण नहीं बनने देना था.
दैनिक जागरण समेत कई अख़बारों ने इसमें धर्मांतरण होने की बात लिखी थी. जब हमने इसको लेकर विजय से सवाल किए तो इससे इंकार करते नजर आए. वहीं आस पास के नौजवान लड़कों ने भी बताया कि दोनों अपना-अपना मजहब जीने की बात करते हैं. इस पूरे विवाद पर शुरुआती दौर में रिपोर्टिंग करने वाले फ्रीलांस पत्रकार असद रिजवी की लड़के के परिवार और लड़की की मां से बात हुई थी. वे बताते हैं उन्हें किसी ने धर्मांतरण कराने की बात नहीं बताई थी. लड़का और उसका परिवार भी नहीं चाहता था कि लड़की मुस्लिम बने और लड़की का परिवार भी नहीं चाहता था कि वो लड़का हिन्दू बने. दोनों अपना-अपना मजहब जीने की बात कर रहे थे. ये लोग शादी, समाज की मान्यता को मानने के लिए कर रहे थे.’’
केडी शर्मा इसको लेकर कहते हैं कि ऐसे कैसे मुमकिन है कि दो धर्म के लोग शादी करें और अलग-अलग धर्म माने. उनके बच्चे खान लिखेंगे या गुप्ता? गुप्ता तो नहीं ही लिखेंगे क्योंकि पिता से घर चलता है. देखिए ऐसा हो नहीं सकता. आज न कल लड़की का धर्मांतरण होता ही. इससे वह बच नहीं सकती थी.
इस पूरे विवाद में सबको कल की चिंता है. किसी को डर है कि हिंदू लड़कियों के लिए यह मामला उदाहरण बन जाएगा तो किसी को इनके होने वाले बच्चों की फ़िक्र नजर आती है.
लड़के के परिवार ने साधी चुप्पी
जब मामला सामने आया उस वक़्त लड़के का परिवार मीडिया से अपनी बात कह रहा था लेकिन अब परिवार ने चुप्पी साध रखी है. न्यूज़लॉन्ड्री ने लड़के और उसके परिवार से बात करने की कोशिश की लेकिन परिवार के किसी भी सदस्य से हमारी मुलाकात नहीं हो पाई. घर पर महिलाएं मिलीं जो कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर देती हैं.
घटना के वक़्त मीडिया से बात करते हुए लड़के के भाई आशिफ शेख ने कहा था, ‘‘दोनों परिवार शादी के लिए तैयार हैं लेकिन नए कानून के सभी प्रावधानों की जानकारी नहीं थी इसलिए बिना नोटिस दिए शादी कर रहे थे. अब हम डीएम की इजाज़त के लिए अप्लाई करेंगे और फिर शादी होगी.’’
जिलाधिकारी से अनुमति मिलने के बाद शायद यह शादी हो जाए क्योंकि जिन लोगों ने ऐतराज किया उनकी भी मांग यही थी कि शादी के लिए इजाज़त नहीं ली गई. पत्रकार असद रिज़वी भी ऐसा ही मानते हैं. रिज़वी की माने तो जिलाधिकारी की अनुमति मिलने के बाद ये संगठन शायद ही परेशान करेंगे क्योंकि पारा इलाके में इनकी कोई खास पकड़ नहीं है.
लड़की के पिता विजय ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि शादी के लिए उन्होंने जिलाधिकारी को आवेदन दे दिया है. जिलाधिकारी से अनुमति मिलने पर हम शादी करेंगे.
अब दोनों परिवारों को जिलाधिकारी से अनुमति मिलने का इंतज़ार है. क्या वे अब भी धूमधाम से शादी का आयोजन करेंगे, इस सवाल पर अभी कोई जवाब देने को तैयार नहीं है.
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'लव जिहाद': मिथ वर्सेस रियलिटी एनएल सेना प्रोजेक्ट की यह तीसरी स्टोरी है. पहला और दूसरा पार्ट पढ़ने के लिए क्लिक करें.
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